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________________ आहारगसरीरय-इंदियपरिणाम ८४६ ३४; १६।१,१०,१५; २१।७२ से ७४,६६,६६, इंगाल (अङ्गार) प १।२६ उ ३।५० १०१,१०२,१०४,१०५; २३।१८६३६८७ इंगालभूय (अंगारभूत) ज २११३२,१४१ आहारगसरीरय (आरारकशरीरक) प १२६ इंगालय (अंगारक)ज ७४१८६।१ सू २०१८,२०।८।१ आहारगसरीरि (आहारकशरीरिन्) प २८।१४१ इंगिय (इङ्गित) ज ३१८७ आहारचरिम (आहारचरम) प १०१४२.४३ इंद (इन्द्र) प २।४०,४५,४७।१ ज २१९४३।२४।३, आहारत्त (आहारत्व) प २८।२२ से २४,३४ से ३७।१,४५।१,१३१४३,१८५,२०६; १४६, ३६,३६,४०,४२,४५,४८,६८,६९,७१,३४।६ ५२,५७,७१५६,५७,५६,६०,१३०,१८६।४ आहारपज्जत्ति (आहारपर्याप्ति) प २८।१४२,१४३, सू१६।२४,२७ उ ३।१५,८४ इंदगोवय (इन्द्रगोपक) प ११५० आहारपय (आहा रपद) जे ७.५० इंदग्गह (इन्द्रग्रह) ज २०४३ आहारभूय (आधारभूत) उ ३।११ इंदगि (इन्द्राग्नि) ज ७/१३०,१८६।२,४ आहारय (आहारक) प १२।१,५,२५; १८९४ से सू २०१८,२०।८।४ ६७,२१११, २८।१०६ से १०८,१११,११३, इंदग्गिदेवया (इन्द्राग्निदेवता) सु १०।८३ ११७,११६,१२०,१२२,१२५,१२७ से १२६, इंदज्झय (इन्द्रध्वज) ज ३।३ १३२,१४३ इंदट्ठाण ) इन्द्रस्थान) सू १६।२५ आहारयसरीर (आहारकशरीर) प १२।१७ इंदणील (इन्द्रनील) ज ३।३५ आहारसण्णा (आहारसंज्ञा) प ८।१ से ११ इंददेवया (इन्द्रदेवता) सू १०८३ आहारेता (आहार्य) ज २।१६ इंदधणु (इन्द्रधनुष्) ज ३।२४ आहारेमाण (आहारयत्) प ११।१२,१७ इंदनील (इन्द्रनील) प १।२०।३ ज ३३१०६ आहिंड (आ--हिण्ड्) आहिंडह उ ३।१०१ इंदभूइ (इन्द्रभूति) ज १५ आहित (आख्यात) सू १।१०,११,१५ से १८,२०, इंदभूति (इन्द्रभूति) चं ११४,१० सू ११५ २२,२३,२५,१६।२२।३ इंदभूय (इन्द्रभूत) सू २०१७ आहिय (आख्यात) प ३४।१।१ ज २।४।२; इंदमह (इन्द्रमह) ज २।३१ ७।३१,३३ चं २।३,५ सू १।६।३,५ इंदमुद्धाभिसित्त (इन्द्रमूर्धाभिषिक्त) ज ७।११७।२ आहिवच्च (आधिपत्य) ज ३।१६७।१३ सू १०८६।२ इंदिओवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त) प ३।१७४ आहुट्ठि (दे०,अर्ध चतुर्थ) सू १६१ आहुणिय (आधुनिक) ज ३।६८,५॥५,७।१८६।१। इंदिकाइय (दे०) प ११५० आहूय (आहूत) उ ३।४८,५० सू २०१८,२०८।१ इादय (इन्द्रिय) प १११।५,३।१।११३।१७; आहेवच्च (आधिपत्य) १२।३० से ३३,३५,३६, १५।१,१७,१६,२०,३०,३४,५८।१,१५।५८ से ४१,४३, ४८ से ५१,५७,५६ ज ११४५,१८५, ६०,६२,६३,६५,६६,६७,७५,७६,१३४,१४३; २०६,२२१; ५।१६ उ ५।१० १७।१३४; १८।१।१; २८।१०१ इंदियउवउत्त (इन्द्रियोपयुक्त) प ३३१७४ इंदियजवणिज्ज (इन्द्रिययापनीय) उ ३।३२,३३ इ (इति) प ११४८२ ज ११२६ सू १८ इंदियपज्जत्ति (इन्द्रियपर्याप्ति) प २८११४२ इ (चित्) उ ११३६३।११ उ ३११५,८४ इइ (इति) सू २०१६ इंदियपरिणाम (इन्द्रियपरिणाम) प०१३।२.१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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