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________________ ८४६ आयारभाव-आलोअंत ६,७,६,१२,१४,१५,१६,२४,२५,३१,३३,३६ से ४१,४७,५२ से ५५,५७,५६,६२,६४,६६ से ६८,७०,७४ से ७६,८०,८१,८६,८८,८६,६१ से ६३,६८,१०२,१०३,१०८,११०,११२,११४, ११६,११८ से १२०,१२२ से १२७,१३२, १३६,१४०,१४३,१४५ से १४७,१५३ से १५६, १६५,१६७,१६६,१७२,१७४,१७६,१७८, २००,२१५,२१६,२१८,२१६,२२१,२४२, २४५,२४८;५३५;७७,१४,१६,३१,३२॥१, ३३,३४,६६,७३ से ७८,६०,६३,९४,१०७, २०७ सू १।१४,२६,२७, ४।३,५ से ८,१८६ से १३;१६।२०,३० उ ५।४ आयारभाव (आकारभाव) ज ११२२ आयावण (आतापन) उ ३३५० आयावणभूमी (आतापनभूमी) उ ३।५०,५१,५३ आयावेमाण (आतापयत् ) उ ३५० आयाहिण (आदक्षिण) ज ११६; २।६३१५; ५१५,४४,४६ उ १११६,२१,३।११३,४।१३ आरंभ (आरम्भ) उ ११२७,१४० आरंभिया (आरम्भिकी) प १७।११,२२,२३,२५; २२।६०,६१,६६ से ६६,७६,६१,९८,१०१ आरंभियाकिरिया (आरम्भिकी क्रिया) प २२९७ से १६ आरण (आरण) प १११३५; २।४६,५६,५६।२, ६०,६३,३।१८३;४।२६१ से २६३,६।३७,५६, ६६७।१८,१५८८,२१७०,९२,२८1८५; ३३११६, ३४।१६,१८ ज ५१४६ आरद्ध (आरब्ध) प २०१६० आरबक (आरब) ज ३१८१ आरबी (आरबी) ज ३।११२ आरब्भ (आरब्ध) प १७१३२ आरभड (आरभट) ज ५१५७ आरस (आ-+-रस् ) आरसइ उ ११६० ___ आरससि उ १८५ आरसिय (आरसित) उ १६६१,८६ आराम (आराम) ज २१६५५१५,७ उ ३।३६,३६ आराह (आ+राध) आराहेहिति उ ५।४३ अराहण विराहणी (आराधन विराधनी) प १११३ आराहणी (आराधनी) प ११॥३,८ आराहय (आराधक) प १११८६ उ ११२० आराहेत्ता (आराध्य) उ ५१४३ आरिय (आर्य) प ११८८,६०,६३१६,१११२६ उ १११७ आरूढ (आरूढ) ज ३।३५,१२१ आरुभित्ता (आरुह्य) सू ६।४ आरुह (आ। रुह ) आरुहेति ज २।१०३,१०४ आरुहेत्ता (आरुह्य) ज २।१०३ आरोग्ग (आरोग्य) ज ३।६२,११६ आरोहग (आरोहक) ज ३।१७८ आलइय (आलगित) प २१५० ज ५॥१८ आलंकारिय (आलंकारिक) ज ३।१५० आलंबण (आलम्बन) ज ४।२६ आलंबणभूय (आलम्बन भूत) उ ३।११ आलय (आलय) ज २७१ आलावग (आलापक) प १७।१६७ से १७२; २१।३१ सू ८१ आलिंगणवट्टिय (आलिङ्गनवर्तिक) ज ४।१३ सू २०१७ आलिंगपुक्खर (आलिङ्गपुष्कर) ज १११३,२१,२६, ३३,३६,३६,४६,२७,३८,५२,५७,११२, १२७,१४७,१५०,१५६,१६१,१६४;३।१६२; ४।२,८,११,५॥३२ आलित्त (आदीप्त) उ ३।११३ आलिसंद (दे०) प ११४५।१ आलिसंदग (दे०) ज २।३७ -आलिह (आ+लिख) आलिहइ ज ३।१२,८८, ५।५८ आलिहमाण (आलिखत्) ज ३४९५,१५६ आलिहिज्जमाण (आलिख्यमान) ज ३।६६,१६० आलिहिता (आलिख्य) ज ३।१२ आलुग (आलुक) प १।४८।२ आलोअंत (आलोकमान) ज ३।१७८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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