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________________ अरत्त-अवज्झा अरत (अरक्त) प २१७० ६४,७२,७८,१५०,१८०,२०६,२२४; ५।१४, अरय (अरक) ज ३।३० २२,३६,४१,४३ उ १।३५,७० ; ३।५०,११०, अरय (अरजस्) सू २०८७ ११३;४।१८,२०, ५।१७ अरयंबर (अरजोम्बर) प २१५० से ५३,५४ अलंकारिय (अलंकारिक) ज ४।१४० ज २१६१ अलंकित (अलङ्कृत) सू २०१७ अरयंबरवत्थधर (अरजोम्बरवस्त्रधर) ज ५।१८, अलंकिय (अलङ्कृत) प २।४८ ज ३१६,८५,२११, ४८ २२२,४१४६,५१५८ उ १११६,४२,३।२६, अरया (अरजा) ज ४।२१२।२ १४१,४।१२ अरबाक (अरबक) प १८९ अलंबुसा (अलम्बुसा) ज ५।११।१ अरविंद (अरविन्द) प ११४६,१॥४८॥४४ अलकापुरी (अलकापुरी) ज ३।१ . ज ३।११७ अलत्तग (अलक्तक) उ ३।११४, अरसमेघ (अरसमेघ) ज २।१३१ अलद्ध (अलब्ध) उ ३।३८ अरह (अर्हत्) ज २।६३ से ६७,७३ से १०; अलभमाण (अलभमान) उ ११६६ ५१५८,६५ उ ३।१२,१४,२६,४६,७६,४।१०, अलसंडविसयवासी (अलसण्डविषयवासिन) ११,१३,१४,१६,२०५।१४,२०,३२,३३,३६, ज ३८१ ३७,३६ से ४१ अलाय (अलात) प १।२६ अरहंत (अर्हत्) प ११६१, ६।२६ ज ११:५।२१ अलिय (अलीक) उ ११४७ सू० २०६।४ उ १।१७ अलेस्स (अलेश्य) प ३१६६१३।१६; १७१५६, अरहंतवंस (अहवंश) ज २।१२४ ५८; १८७५; २८।१२४ अरि (अरि) ज २०२८ अलोग (अलोक) प १०।२,४,५,१५।१।२ अरिठ (अरिष्ट) प ११३५२ अलोय (अलोक) प २०६४।३ ; १५।५७; ३३।१३ अरिठ्ठनेमि (अरिष्टनेमि) उ ५।१४,२०,३२,३३, अलोवेमाण (अलोपयत् ) उ १।१११,११२ ३६,३७,३६, से ४१ अनोह (अलोभ) ज २६८ अरिस (अर्शस) ज २१४३ अल्ल (आद्र) उ ११४४ से ४६ अरिह (अर्ह) ज १।२ उ ११३६,४२ अल्लइकुसुम (आद्रकीकुसुम) प १७.१२७ अरुण (अरुण) ज ४।८४,८५ सू २०१८,८।५ अल्लग (आद्रक) ज' ३।११६ अरुणवर (अरुणवर) प १५१५५११ सू १६।३१ अल्लीण (आलीन) ज २११५,१६, ७।१७८ अरुणवरोभास (अरुणवरावभास) सू १६।३१ अवक्कम (अव-1 क्रम्) अवक्कमइ उ ३३११३, अरुणोभास (अरुणावभास) ज ४।८५ अवक्कमति ज ३।१११,११५,१६२,२०८; अरुणाभ (अरुणाभ) सू २०१२ ५।५,७,५५ अवक्कमह ज ३।१२४,४१२० अरुणोद (अरुणोद) सू १६।३१ अवक्कमित्ता (अवक्रम्य) ज ३।१११; उ ३।११३; अरुय (अरुज) ज ५।२१ ४।२० अरूवि (अरूपिन् ) प १२२,३ ; ५।१२,३,१२४ . अवगाह (अवगाह) प १७।११४।१ अरुह (अर्ह, ) अवचिज्ज (अव+चि) अवचिज्जति ___ अरुहतु ज ३।१२६ प२११६७ अलंकार (अलङ्कार) ज २१६५,६६,१००।३।१२ अवज्झा (अवध्या) ज ४।२१२,२१२।४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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