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________________ ८२६ अट्ठम अधिपति ७४,७८,११२,११४,११५,११६,१२३, अद्धमंडलसंठिति (अर्द्धमण्डलसंस्थिति) स १७।१, १२६,१२७,१४६ सू १८।११,२० १।१५ से १७ अद्धट्ठम (अष्टिम) ज २१७८४।११०,११६, अद्धमागहा (अर्द्धमागधी) प १६८ १२८ सू १८।१ उ ११५३,७८ अद्धमास (अर्द्धमास) प६।१२, २३।७१,१८४ अट्ठारस (अष्टिादश) प २३।१०४ _सू १३।४,५,११ अद्धणवम (अर्द्धनवम) सू १८१ अद्धमासिया (अर्द्ध मासिकी) उ ३३१४,८३,१२० अद्धणाराय (अर्द्धनाराच) प २३।४५,६७ अद्धवीस (अर्द्धविंशति) सू १८१ अद्धतिवण्ण (अर्द्ध त्रिपञ्चाशत् ) प २।२७।३ अद्धसत्तम (अर्द्धसप्तम) सू १८।१ अद्ध तेरस (अर्द्ध त्रयोदश) प श६०,८१११; अद्ध सत्तरस (अर्द्धसप्तदश) सू १८।१ २३।१०२ ज ४।३६,४३,६६,७२,११४,१२०, अद्ध सीतालीस (अर्द्धसप्तचत्वारिंश) सू ११२३ १२२ सू १८।१ अद्धसोलस (अर्द्धषोडश) ज ४।११६ सू १८।१ अद्धतेवट्टि (अर्द्ध त्रिषष्टि) ज ४।२४० उ ३७ अद्धहार (अर्धहार) ज ३।६,२११,२२२; ५।३८ अद्धतेवण्ण (अर्द्धत्रिपञ्चाशत्) प २२२७ अद्धतेवीस (अर्द्धत्रयोविंशति) प ६।३१ सू १८।१।। अद्धा (अद्धा, अध्वन् ) प २१६४।१५,१६,१५। अद्धदसम (अर्द्धदश) सू १८१ ५८।१; १५।६३,६४,१८।१,१२५; ३६।६२, अद्धद्धमिस्सिया (अर्द्धार्द्ध मिथिता) प ११६३६ ६४, मू ११११,१२,२७ से ३१, २।२६।३; अद्धपंचम (अर्द्धपञ्चम) प ४।३४,३६,४०,४२ १२।२ से ६,१० से १२ सू १८१ अद्धामिस्सिया (अर्द्ध मिश्रिता) प १११३६ अद्धपण्णवीस (अर्द्धपञ्चविंशति) सू १८१ अद्धासमय ('अद्धा'समय) प ११३,३।११४,११५, अद्धपण्णरस (अर्द्धपञ्चदशन् ) स १८११ १२१,१२२,१२४; ५१२४१५१५३ से ५५, अद्धपलिओवम (अर्द्धपल्योपम) प ४।१६८,१७०, ५७; १८।१२५ १७४,१७६,१८०,१८२,१८६,१८८,१६२, अद्भुट्ठ (दे०) प ३३।३,४ ज ४।११६ सू ११२३, १६४,१६५,१६७ ज ७।१८८,१६०,१६२, ३।१; १८।१ उ ५।१० १६३ स १८।२६,२८,३०,३२,३३ अधण्ण (अधन्य) उ ११६२, ३।६८,१०१,१३१ अद्धपलियंकसंठित (अर्द्धपयंक संस्थित) सू १०।४४ । अधमस्थिकाय (अधर्मास्तिकाय) प ११३;३।११४, अद्धपोरिसी (अर्द्धपौरुषी) सू ९३ ११५, ११७,१२२,५११२४; १५॥५३,५४ अद्धबारस (अर्द्धद्वादश) सू १८११ अधर (अधर) ज २०१५ अद्धबयालीस अर्द्धद्वाचत्वारिंशत् ) सू ११२३ अधरिम (अधरिम) ज ३।१२,२८,४१,४६,५८,६६, अद्ध बावण्ण (अर्द्ध द्विपञ्चाशत्) सू ११२३ ७४,१४७,१६८,२१२,२१३ अद्धबावीस (अर्द्धद्वाविंशति) स १८।१ अधाजोग (यथायोग) सू १५।१० अद्धभरह (अर्द्धभरत) ज ३।६५ अधाजोय (यथायोग) सू १५:१३ अद्धभाग (अर्धभाग) ज ११२३,४८,४।१,६२,८१ । अधातच्च (यथातथ्य) सू १२।१३ ८६ अधारणिज्ज (अधारणीय) ज ३११११ अद्धमंडल (अर्द्धमंडल) च ३३१ सू १।१८; १३१७ अधिगय (अधिगत) प १।१०१२ से ११,१४ से १६,१५।२६ से ३१ अधिपति (अधिपति) ज ३।२५,४६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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