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________________ ७४ स०१स६ R HERE चंदपण्णत्ती सू० १ से १० पृ० ५६१ से ५६३ सूरपण्णत्ती पढम पाहुडं सू० १ से ३१ पृ० ५६४ से ६०६ बीयं पाहुडं सू० १ से ३ पृ०६१० से ६१५ तच्चं पाहुडं सू० १ से २ पृ० ६१६ से ६१७ चउत्थं पाहुडं सू० १ से १० पृ० ६१८ से ६२२ पंचमं पाहुडं सू०१ पृ० ६२२ छठे पाहुडं सू०१ पृ० ६२३ से ६२५ सत्तमं पाहुडं सू०१ पृ० ६२५ अट्ठमं पाहुडं सू०१ पृ०६२६ से ६२६ नवमं पाहुडं पृ० ६३० से ६३३ दसमं पाहुडं से १७३ पृ० ६३४ से ६६१ एक्कारसमं पाहुडं पृ० ६६२ से ६६३ बारसमं पाहुडं सू०१ से ३० पृ० ६६४ से ६६८ तेरसमं पाहुडं पृ० ६६६ से ६७१ चउद्दसमं पाहुडं पृ० ६७२ पण्णरसमं पाहुडं १ से ३७ पृ० ६७३ से ६७५ सोलसमं पाहुडं सू०१ से ६ पृ० ६७६ सत्तरसमं पाहुडं पृ० ६७७ अट्ठारसमं पाहुडं सू०१ से ३७ पृ० ६७८ से ६८३ एगूणवीसइमं पाहुडं सू० १ से ३८ पृ० ६८३ से ६६३ बीसइमं पाहुडं सू०१ से पृ० ६६३ से ७०५ परिसिठं पृ० ७०६ से ७१२ उवंगा निरयावलियाओ पढमं अज्झयणं सू०१ से १४२ पृ०७१५ से ७३६ उक्खेव-पदं १, कालीए चिता-पदं १२, भगवओ महावीरस्स समवसरण-पदं १६, कालीए पूच्छापदं २१, भगवओ उत्तर-पदं २२, कालीए मुच्छा-पदं २३ कालीए पडिगमण-पदं २४ कालकुमारस्स निरय-उववत्ति-पदं २५ चेल्लणाए दोहद-पदं २८, दोहद-संपन्नता-पदं ४२, गब्भसाडणचितणा-पदं ५०, पृत्तपसव-पदं ५२, पुत्तस्स उक्कुरुडियाए उज्झणा-पदं ५४ सेणिएण पुत्तस्स परिचरिया-पदं ५६, पूत्तस्स कूणिएत्ति नाम-पदं ६३ कूणिएण सेणियस्स निग्गह-पदं ६५, चेलणाए पडिबोह-पदं ७०, कूणियस्स निवेद-पदं ८८, सेणियस्स अप्पघाय-पदं ८६ कूणियस्स विलावकरण-पदं ६२, कूणिएण रायहाणी परिवतण-पदं ६३ वेहल्लस्स गंधहत्यिकीला-पदं ६४, हार-गंधहत्थि-विवाद-पदं ६८, वेहल्लस्स चेडग-सरणपदं १०५, कूणिएण दूय-पेसण-पदं १०७, कूणियस्स जुद्धसज्जा-पदं ११५, चेडगस्स जुद्धसज्जा-पदं १२७, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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