SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 506
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ तइओ वक्खारो ४२६ जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता दम्भसंथारगं संथरइ', 'संथ रित्ता दब्भसंथारगं दुरुहइ, दुरुहित्ता कयमालस्स देवस्स अट्ठमभत्तं परिण्हइ, पोसहसालाए पोसहिए बंभयारी 'उम्मुकमणिसुवण्णे ववगयमालावण्णगविलेवणे णिक्खित्तसत्थमुसले Goriथा रोगए एगे अबीए अट्टमभत्तं पडिजागरमाणे - पडिजागरमाणे विहरइ ॥ क्खमइ, ८५. एणं से सुसे सेणावई' अठ्ठमभत्तंसि परिणममाणंसि पोसहसालाओ पडिणिपडिणिक्खमित्ता जेणेव मज्जणघरे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता पहाए कयबलिकम्मे कयकोउय-मंगल-पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई' मंगल्लाई वत्थाई पवर परिहिए अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे धूवपुप्फगंधमल्लहत्थगए मज्जणघराओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडा' तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ८६. तए णं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहवे राईसर - तलवर - माडंबिय'- - कोडुंबिय - इब्भ-सेट्ठि- सेणावइ - सत्थवाहप्पभियओ - अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव' अप्पेगइया सहपत्तहत्थगया सुसेणं सेणावई पिट्ठओ-पिट्ठओ अणुगच्छति ॥ ८७. तणं तस्स सुसेणस्स सेणावइस्स बहूओ' खुज्जाओ चिलाइयाओ जाव' इंगियचितिय-पत्थिय-विआणियाओ णिउणकुसलाओ विणीयाओ अप्पेगइयाओ वंदण कलस हत्थ - गयाओ जाव' सुसेणं सेणावई पिट्ठओ-पिटुओ अणुगच्छति ॥ ८८. तणं से सुसेणे सेणावई सव्विड्डीए सव्वजुईए जाव" णिग्घोसणाइएण जेणेव तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस दुवारस्स कवाडा तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता आलोए पणामं करेइ, करेत्ता लोमहत्थगं परामुसइ, परामुसित्ता तिमिसगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडे लोमहत्थेणं पमज्जइ, पमज्जित्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइ, अब्भुक्खेत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितले चच्चए य दलयति, दलयित्ता अग्गेहि वरेहिं गंधेहि मल्लेहि य अच्चिणेइ, अच्चिणेत्ता पुप्फारुहणं मल्ल-गंध-वण्ण- चुण्ण-वत्थारुहणं करेइ, करेत्ता आसत्तोसत्तविपुलवट्ट" - `वग्घारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरस सुरभिमुक्क पुप्फपुंजोवयारकलियं कालागुरु-पवरकुंदुरुक्क तुरुक्क-धूवमघमघेत-गंधुद्ध्याभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं° करेइ, करेत्ता अच्छेहि सहेहि सेतेहि रययामएहि अच्छरसातंडुलेहि तिमिस्सगुहाए दाहिणिल्लस्स दुवारस्स कवाडाणं पुरओ अट्ठट्ठ मंगलए आलिहइ, [तं जहा -सोत्थिय सिरिवच्छ" "णंदियावत्त वद्धमाणग भद्दासण मच्छ कलस दप्पण अट्ठमंगलए ] आलिहित्ता काऊणं" करेइ उवयारं, कि ते? पाडल-मल्लिय चंपग असोग- पुण्णाग, चूयमंजरि णवमालिय १. सं० पा०—संरइ जाव कयमालस्स । २. सं० पा० - बंभयारी जाव अट्ठमभत्तंसि । ३. वेसाई ( अ, ब ) । ४. कवाडाओ (ब) 1 ५. सं० पा० - माडंबिय जाव सत्यवाह° । ६. जं० ३।१० । ७. बहूईओ ( प ) । Jain Education International ८. ओ० सू० ७० ॥ ६. जं० ३।११ । १०. जं० ३।१२ । ११. सं० पा० - पुप्फारुहणं जाव वत्थारुणं । १२. सं० पा० – आसत्तोसत्तविपुलवट्ट जाव करेइ । १३. सं० पा० - सिरिवच्छ जाव कयग्गह' | १४. द्रष्टव्यम् - १२ सूत्रस्य पादटिप्पणम् । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy