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________________ १०७० सयधणु-सरिस १३६,१४०,१४७,१५३;५।१७ सू २०१७ सर (शर) प ११४१।१ ज ३।२४।१,२,३।२५,२६, उ ११४६,५।१३,२५,३१ ३१,३५,३८,३६,४६,४७,१३१११,२,१३२, सयधणु (शतधनुष) उ ५।२।१ १३३,१३५,१७८ उ १११३८ सयपत्त (शतपत्र) प ११४६ ज ४।३,२५ सर (सरस्) प २।४,१३,१६ से १६,२८,१११७७ सयपत्तहत्थगय (हस्तगतशतपत्र) ज ३।१० सर (स्वर) ज २११२,१३३, ३।३,४।३,२५,५।२८% सयपाग (शतपाक) ज ५।१४ ७.१७८ सयपुष्फा (शतपुष्पा) प ११४४।३ सौंफ सरंड (दे०) प ११७६ सयभिसया (शतभिषग्) ज ७।११३।१,१२८; सरग (शरक) ज ५।१६ उ ३।५६ ११५० सरड (सरट) प ११७६ १३४।२,१३५।२.१३६,१३६,१४२,१४६,१५७ सयमेव (स्व मेव) प १११०११३ ज २६५; सरण (शरण) ज ३।१२५,१२६:२१ ३।१०२,१६२,२२४ सू १३३५,६,१२,१३,१७ सरणदय (शरणदय) ज ५१२१ उ १६६५,६६,७१,८८,६४,३८१,८२,११३; सरणागय (शरणागत) ज ३।८१ उ १।१२८ ४/२० सरद (शरद्) सू १२।१४ सरपंतिया (सर:पंक्तिका) प २।४,१३,१६ से १६, सयरिसह (शतवृषभ) सू १०८४।३ २८,१११७७ सयरी (शतावरी) प ११३६।२ सरभ (शरभ) प ११६४ ज ११३७, २।३५,१०१; सयल (सकल) ज ३।३१ सू १६।२११६ ४।२७,५२८ सयवत्त (शतपत्र) प २।३१,४८ ज ४।४६ सरय (शरक) उ ३१५१ सयवसह (शतवृषभ) ज ७।१२२।३ सयसहस्स (शतसहस्र) प ११२३,२६,२६,४८,४६, सरय (शरद्) उ ५।२५ सरल (सरल) प ११४३।१,११४७११ ५१,६०,६६,८४; २।२२,२५,२।२७१४,२।३०, सरलवण (सरलवन) ज २६ ३३ से ३५,४०॥३,४,२१४६,४६,१५।४१; सरस (सरस) प २।३०,३१,४१ ज २६५,६६,६६, ३६।८१ ज १७, २१४,१८,६४,८७,८८%; १००,३७,६,१२,८२,८८,१८४,२११,२२२; ३।१७८,१८५,२०६,२२१,२२५,४।२५६,२६२; ५।१४,१५,५५,५८ ५।१८,२४,२५,२८,४४,४८,४६।२६।८।१, २० से २६,७।१।१,७१४ से १६,७३,७४, सरसर (सर:सरस्) ज ३।१०२,१५६,१६२ ७८,६३,६४,९८ से १००,१८७,२०७ सरसरपंतिया (सरासर:पंक्तिका) प २१४,१३,१६ सू १।१४,२१,२७,२।३;३।१६।१८।१; से १६,२८,१११७७ १०।१६५,१७३,१२।१८।२७;१६।१११, सराग (सराग) प १११००,१०१,१११ से ११४; १७.३३ १६।४,८,११,१४,१५।४,१८,२०,२११,५ सरागसंजय (सरागसंयत) प १७।२५ उ ३।१६ सरासण (शरासन) ज ३७७,१०७,१२४ सयसाहस्सिय (शतसाहस्रिक) सु १६।२६ उ ११३८ सयसाहस्सी (शतसाहस्री) ज ४।२१,६।८;७५८ सरि (सदक) ज ३।१६७१३ उ ३।१७१:४।२८ सया (सदा) ज ७।१२६,१७० सू १०७५,७७, सरिच्छ (सदश) ज ३।१८,५२,६१,६६,१३१, १३६,१७३;१६।१,११,२१,२०१२ १३६,१३७,१४१,१६४,१८० सयावरण (सदावरण) ज ३।१०६ मसहरी सरिस (सदृश) प १।४८।३८; २।३१ से ३३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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