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________________ १०२८ रुहिरक हम-रोहियंसा रुहिरकद्दम (रुधिरकर्दम) उ १११३६ रुहिरबिंदु (रुधिरबिन्दु) ज ७।१३३।२ रुहिबिंदुसंठिय (रुधिरबिन्दुसंस्थित) सू १०।३६ रूत (रूत) ज ४।१३ सू २०१७ रूयंता (रूपांशा) ज ५।१३ रूयगावई (रूपकावती) ज ५।१३ रूया (रूपा) ज ५।१३ रूव (रूप) प ११।२५,३३।१,१२।३२,१५॥३७, ४१,२२।१७,८०; २३।१५,१६,१६,२०, ३४।१,२,३४।२० से २२ ज २।१५,१३३, ३।३,६,७६,८२,१०३,१०६,११६,११७,११६, १३८.१७८,१८६,१८७,२०४,२१८,२२२, ४।२७,४६,५।२८,४१,४३,५७,६८,७० सू २०१७ उ ३।१२७,५।२५ रूवग (रूपक) ज ४।२७,५।२८,७।१७८ रूवपरियारग (रूपपरिचारक) प ३४।१८,२२,२५ रूवपरियारणा (रूपपरिचारणा) प ३४।१७,२२ रूवविसिठ्ठया (रूपविशिष्टता) प २३।२१ रूवविहीणया (रूपविहीनता) प २३।२२ रूबसच्च (रूपसत्य) ॥११॥३३ रूवि (रूपिन ) प ११२,४,६५।१२३.१२५,१४४ सू १३।१७ रूवी (रूपिका) प १३७।१ सफेद आक का वृक्ष रूसमाण (रुष्यत् ) उ ३।१३० रेणु (रेणु) ज २।६,६५,१३१,५१७ रेणुबहुल (रेणुबहुल) ज २।१३२ रेणया (रेणका) प १४८१५ रेणका, संभाल के बीज रेरिज्जमाण (र राज्यमान) उ ३।४६ रेवई (रेवती) ज ७।११३।१,१२८,१२६,१३६, १४०,१४३,१४६,१५८ सू१०।१ उ ५।१२, १३,३० ३१ रेवतय (रैवतक) उ ५५ रेवती (रेवती) सू १०२ से ६,१०,२२,२३,३३, ६१,६५,७५,८३,६८,१२०,१३१ से १३३; १२।२२ रेवयग (रैवतक) उ ५१६ रोइंदग (रोविन्दक) ज ५१५७ रोग (रोग) ज २१४३,१३१ उ ३।३५,११२ रोगबहुल (रोगबहुल) ज १११८ रोज्झ (दे०) प १६४ रोद्द (रौद्र) ज ७१२२।१,१२६ सु १०।०४।१ रोम (रोमन्) प ११८६ ज २।१५,१३३ रोमक (रोमन) ज ३८१ रोमकूव (रोमकूप) ज ५।२१ रोमग (रोमक) प ११८६ रोमराइ (रोमराजि) ज २।१५ रोय (रुच्) रोएइन १११०१।२ रोएज्जा २०।१७,१८,३४ रोयए १११०११५ रोय (रोचय) रोएमि उ ३।१०३ रोय (रोग) उ ३।१२८ रोयणागिरि (रोचनगिरि) ज ४२२५।१,२३३ रोयमाण (रुदत्) उ १९२३११३० रोख्य (रोरुक,रौरव) १२२७ रोवाव (रोख्य) रोवावेइ उ ३।४८ रोवावित्तए (रोपतुिम) उ ३१४८ रोवाविय (रोहित) उ ३१५०,५५ V रोह (रुह ) रोहति ज ३१७६,११६ रोहिणिय (रोहिणीक) ए ११५० रोहिणी (रोहिणी) ज ७.११३।१,१२८,१२६, १३४।३,१३५।३,१३६,१४०,१४५,१४६,१६० सू १०।२ से ६,१२,२३,३७,६२,६७,७५,८३, १०२,१२०,१३१ से १३३ रोहियंस (रोहितांश) प ११४२।१ एक प्रकार का तृण रोहियंसकूड (रोहितांशकूट) ज ४।४४ रोहियंसदीद (रोहितांशी) ज ४।४१ रोहियंसप्पवायकुंड (रोहितांशाप्रपातकुण्ड) ज४।४० से ४२ रोहियंता (रोहितांशा) ज ४।३८ से ४०,४२,४३, ५७,१८२,२७०६।२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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