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________________ याण-रत्था १०२३ याण (ज्ञा) याणंति प १५।४६,४८,४६%; रट्ठ (राष्ट्र) उ ११६६,६४,६६ ३४।११,१२ याणति प २३।१३ याणामो रट्ठकूड (राष्ट्र कूट) उ ३।१२८ से १३१,१३३, उ ११३६ १३६,१३८ से १४०,१४७,१४६ याव (यावत् ) प ११२०,२३,२६,२६,३६,३७,३६ रणभूमि (रणभूमि)उ १११३५ से ४७,११४८७.१० से ३७,४१,४३,२४८ से रतण (रत्न) प२०४८ ५१,५६,६०,६३ से ६६,७०,७१,७५,७६,७८, रतणप्पभा (रत्नप्रभा) प२।४८,४६३१८३; ६।६११०१२,३ रतणवडेंसय (रत्नावतंसक) प २।५१ रइ (रति) प २।४१ ज ५।२६ रतणामय (रत्नमय) १ २०४६ रति (रति) ५ २३१३६,७६,१४४ रइकरग (रतिकरक) ज ५१४८,४६ रतिणाम (रतिनामन्) प २३।६४ रइकरगपव्वय (रतिकरकपर्वत) उ ५१४४ रतिपसत्त (रतिप्रसक्त) सू २०१७ रइत (रचित) प ३६।६२ रत्त (रक्त) प २।३१,२१४०।१० ज ३१७,२४,२५, रइत (रंतिद) ज ३।३५ रइय (रचित) २।३०,३१,४१ ज ११३७,२।१५, १८४,१८८; ७।१७८ सू १३३१,२०१३,७ उ ११७२,७३,८७,८८,६२ ३।६,६,१८,२४,३५,६३,१०६,११७,१७८, रत्त (रात्र) ज २।६।१,२।१४१ से १४५;३।११५, १८०,२२१,२२२,५१४३;०१५५ ११६,१२१,१२२,१२४ रइय (रतिक) प २०४८ रत्तंसुय (रक्तांशुक) ज ४।१३ सू २०१७ रइय (रतिद) ज २०१५ रत्तकंबलसिला (रक्तकम्बलशिला) ज ४।२४४, रइयामय (रजत मय) ज ४।१३ रउस्सल (रजस्वल) ज २११३१ २५२ रएत्ता (रचयित्वा) उ १११३७, ३५१ रत्तकणवीरय (रक्तकरवीरक) प १७.१२६ रंग (रङ्ग) ज ३।१६७।६ रत्तचंदण (रक्तचन्दन) प २।३०,३१,४१ रक्खस (राक्षस) प १२१३२,२।४१,४५ ज ७१२२ रत्तबधुजावय (रक्तबन्धुजीवक) प १७११२६ सू १०८४१३ रत्तरयण (रक्तरत्न) ज २।२४,६४,६९,३।१६७ रक्खा (रक्षा) ज ५११६ रत्तवई (रक्तवती) ज ४१२७४; ६।१६ रज्ज (राज्य) ज २१६४,३१२,१७५,१८८ उ ११६६, रत्तवईकूड (रक्तवतीकुट) ज ४।२७५ ६४,६६,१०३,१०६,११०,११३,११४,१२१, रत्तसिला (रक्तशिला) ज ४।२४४,२५१ १२२,१२६,५९,११ रत्ता (रक्ता) ज ४।२७४; ६।१६ रिज्ज (रञ्ज) रज्जति सू १३।१ रत्ताकूड (रक्ताकूट) ज ४।२७५ रज्जधुरा (राज्यधूर) उ १३१ रत्ताभ (रक्ताभ) प २१४६ रज्जवास (राज वास) ज २१८७ रत्तासोग (रक्ताशोक) ११७१२६ रज्जसिरि (राज्यश्री) उ १६५,६६,७१,९४,९८, रत्ति (रात्रि) ज ३।६५,१५६ ९६,१११,११२ रत्तुप्पल (रक्तोत्पल) प १७।१२६ ज २।१५; रज्जु (रज्जु) ज ३।१०६७।१७८ ७.१७८ रज्जुच्छाया (रज्जुच्छाया) मू ६।४ रत्था (रथ्या) ज ३७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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