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________________ मुद्दिया-मेंढमुह १०२१ मुद्दिया (मृद्वीका) प १४०।४ ६५,९६,१८ से १००,१२२,१२६,१२७, मुद्दिया (मुद्रिका) ज ३।६,२११,२२२ १३४।१,२,३,१३५।१ से ४ च ३३१,४।१५।२ मुद्दियासारय (मृद वोकासारक) प १७।१३४ सू १।७।१,११८।१,१।६।२,१।१०,१३,१४,१६ मुद्ध (मुर्धन्) ज ५।२१,५८,६४,७२,७३,७।१७८ से १८,२१,२२,२४,२७,२१३,३।२,४१८,६; मुद्धत (मून्ति ) सू २०१२ ६।१८।१६।२१०।२ से ५,८४,१३३,१३४, मुद्धय (दे०) प ११५८ १५२ से १६५; १११२ से ६,१२।२ से ६, मुद्धागय (मूर्द्धगत) ज ३१६२,११६ १२,१३,१६ से २८,१३।१,३,१४।३,७; १५३२ मुम्मुर (मुमर) प ११२६ से ४,८,९,११,१२,३७,१७।१ उ ११२४,४७, मुम्मरभूय (मुर्मुरभूत) ज २।१३२,१४१ ६०,६२ मुय (मुच् ) मु ति कु २००२ मुहुत्तगइ (मुहूतंगति) च ४१३ मुयंत (मुञ्चत् ) ज २।१२ मुहुत्तग्ग (मूहूर्ताग्र) चं ५।१ सू ११६।११०।२; मुरव (मुरज) ज ३।१२,७८,१८०,२०६ १२।२ से। मुरुंड (मुरुण्ड) प ११८६ मूल (मूल) प १।३५,३६,११४८।१०,२०,३०,३४, मुरुंडी (मुरुण्डी) ज ३।११।२ ५१ ज ११८,३५,५१,२०६३।२२२०,४७,१५, मुसल (मुसल) प २।३०,३१,४१ ज २१६,१४१, ४३,४५,७२,७८,६०,६५,११०,११४,१२०, १४५, ३।३,२०,३३,५४,६३,७१८४,११५, १४२।१,१४६,१५६।१,१७४,२१३,२४२; ११६,१२२,१२४,१३७,१४३,१६७,१८२; ५।६७,७१३६,३८,१२४।१,१२८,१२६, ७।१७८ १३२।४,१३६,१४०,१४६,१५२,१६६,१६७, मुसावाय (मृषावाद) प २२।१२,१३,८० १७५ सू १०।२ से ६,१८,२३,५२,६२,७३ से मसावायविरय (मषावादविरत) प २२।८५ ७५,८३,११७,१२०,१३१ से १३३; १२॥२७; मुसुंढी (दे०) प ११४८।१२।३०,३१,४१ १८७ उ ३१५०,५१,५३ मुह (मुख) ज २१७१,१३३;३।१०५,१०६, मूलग (मूलक) प ११४४।२,११४५।२ ज ३।११६ १६७।११,४१२३,३६,३८,३६,४३,६५,६६, मूलग्ग (मूलाग्र) प ११४८१६३ ७२,७३,७८,६०,६१,६५,१८३,२६२७।१७८ मूलपासायवडेंसय (मूलप्रासादावतंसक) ज ४।१२० उ ३३५५,५६,६३,६४,६७,६८,७०,७१,७३, मूलय (मूलक) प ११४८।२ ७४,७६; ४।२१ मूलाग (मूलक) उ ११६२ मुहफुल्लय (मुखफुल्लक) ज ७४१३३।२ मूलापण्ण (मूलकपर्ण) सु १०।१२० मुहफुल्लसंठिय (मुख'फुल्ल'संस्थित) सू १०।४७ मूलाबीय (मूलकवीज) ज २॥३७ मुहभंडग (मुखभाण्डक) ज ३।१७८ मूलाहार (मूलाहार) उ ३१५० मुहमंगलिय (मुखमाङ्गलिक) ज २१६४;३।१८५ मूसग (मूषक) प १११७८ मुहमंडव (मुखमण्डप) ज ४।१२२ मूसा (मूषक) प ११७६ मुहुत्त (मुहूर्त) १६१ से ४,६ से १०,१७,१८,२२ मेइणी (मेदिनी) ज २।१५ से ३०,४५३,६ से 8;२३।६३,१२७,१३१, मेइणीय (मेदिनीक) ज ३१८,३१,१८० १८८ ज २।४२,३,२१६६,१३४;३।३२।२ मेंढक (मेंढक) सू १०।१२० मेढा सिंगी लता २०६;७।२० से ३०,३६ से ३८,७६ से ८२, मेंढमुह (मेंढमुख) प ११८६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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