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________________ थणियकुमारत्त-दंडपति ९४१ १६।३,११,१७।१७,६३,१०१,१६।१,२०१८, थूभ (स्तूप) प १११२५ ज २।१५,२०,३१; १२,२१,२३,२४,२७,३५,२११५५,६१,७०,६०, ४।१२५,१२६ २२।२३,३०,३६७३,६८,२४।५,२८।२७,६८, थभियग्ग (स्तुपिकाग्र) प२०६४ ११६,२६७,१६,३०७,१७,३११२,३३।११, थूभिया (स्तूपिका) प १११६,३७,४।१०,४६ २०,२७,३१,३५:३४।२,३५।१८,३६१५,२४, थभियाग (स्तुपिका) प २१४८ ज ११३८,४।१०, ३७,७२ ११५,२१७,२२६ थणियकूमारत (स्तनितकुमारत्व) प १५९५,१०१६ थेज्ज (स्थैर्य) उ ३।१२८ ३६।२२,२५ थेर (स्थविर) प १६।५१ सू २०१६।४ उ २।१०, थद्ध (स्तब्ध) ज ३।१०६ सू २०६२ १२३।१४,१५६,१६१,१६७;५॥३६ ४१,४३ थल (स्थल) प ११७५ ज २११३१,१३४;३1३२,६८ थेरग (स्थविरक) ज २११३३ उ ३१५५ थोव (स्तोक) प ३१ से १७,२४ से १२०,१२२ थलय (स्थलज) प ११४८।४० से १८१,१८३६।१२३;७।२,३,८।५,७,६,११; थलय (स्थलक) ज ५७ ६।१२,१६.२५,१०।३ से ५,२६,२७,१११७६, थलयर (स्थलचर) प ११५४,६१,६२,६६ से ६८ ६०१५।१३,१६,२६,२८,३१,३३,३४,६४; ७६३।१८३;४।१२२ से १४८,६७१,७८%; १७।५६ से ५६,६१.६४,६६ से ६८,७१ से २११८,११ से १६,३५,४४,५३,६० ७४,७६,७८ से ८३,१४४ से १४६;२०१६४; थवईरयण (स्थपतिरत्न) ज ३॥३२॥१ २१११०४,१०५,२२।१०१,२८।४१,४४,७०; थाल (स्थाल) प ११।२५ ज २।१५; ३।११,५१५५ ३४।२५,३६।३५ से ४१,४८ से ५१,८२ थालइ (स्थालकिन्) उ ३।५० ज२।४।२,६६ सू ८।१२०१५ थारुकिणिया (थारुकिनिका) ज ३।११।१ थोवतराग (स्तोकतरक) प ३५।२ थालीपाक (स्थालीपाक) सु २०१७ थोवूण (स्तोकोन) ज २०१५ थालीपाग (स्थालीपाक) ज २।३० थावरणाम (स्थावरनामन्) प २३।३८,११७ थासग (स्थासक) ज ३।१०६,१७८,७१७८ दओदर (दकोदर) ज २।४३ थिग्गल (दे०) प १५।१।२। दंड (दण्ड) प २।३०,३१,४१,३६।८५ ज २१६, थिबुग (स्तिबुक) प १५।२६; २११२४ ६० से ६२,३।३,१२,८८,११७,१७८,१६२; थिर (स्थिर) ज ७।१२४,१२५,१७८ ४।२६५।५,७,५८,७।१७८ उ ११३१ थिरणाम (स्थिरजामन्) प २३।३८,१२२ दंडग (दण्डक) प ६।१२३;१११८३,८५,१४।६,८, थिरीकरण (स्थिरीकरण) प १।१०१।१४ १०,१८,२०१५,२२।२०,२५,२८,४५,५६,५८ थिल्ली (दे०) ज २१३३ ७६;२३१८,१२,२८।१४५;३६।८,१२,२०,२६ थी (स्त्री) प १८४ से ३१,३३,३४,४४,४५ थीणद्धि (स्त्यानद्धि) प २३।१४,२७ दंडणायग (दण्डनायक) ज ३१६,७७,२२२ थीविलोयण (त्रीविलोचन) ज ७।१२३ से १२५ दंडणीइ (दण्डनीति) ज २१६० से ६२,३।१६७।६ थुरय (दे०) प १।४२।२ दंडदारु (दण्डदारु) उ ३१५१११ थूणा (स्थूणा) प १५।१।२,१५१५२ दंडपति (दण्डपति) ज ३।१०६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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