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________________ तिरिक्खजोणियाउय-तुच्छ १३७ तिरिक्खजोणियाउय (तिर्यग्योनिकायुष) तिवण्ण (त्रिवर्ण) प ७.१७८ प २०१६३;२३।७६,१४७,१५८,१६२,१६५, तिवलि (त्रिवलि) ज ३।१३८।१ १७० तिवलियवलिय (त्रिवलिकवलित) ज २।१५ तिरिच्छ (तिर्यच्) सू १।६।१ तिवलिया (त्रिवलिका) ज ३।२६,३६,४७ तिरिच्छगति (तिर्यग्गति) सू २।१ च २११ उ ११२२,११५,११७,१४० तिरिय (तिर्यच ) प २१४१ से ४३,४६,४८; तिविह (विविध) प १११।१,११५४,६०,६६,७५, १११६५,६६,१५।५२;२०१५३;२११८७,६० से ७६,८१,८५,६।१,६,१३,२०,२६१३१७,१०, ६३;२३३३६,८२,११२,११५,१४८;२८।१५, ११,१३,१५७५,१६६४,२४;१७।११,२५, १६,६१,६२,३११६।१३२।६।१;३३।१६,१७ ३०,१३६१८१५६,६४,७७६०,१०५२११८; ज २१४६,७१,६०,१३७,३७६,११६,११८; २२१४ से ६;२३।३३,४२,२६७,३०१३; ४।५२,५१५,४४,७।४४ ५४ सू २।१,४।१०; ३५॥१,६,८ से १० चं ११४ उ ३।३८,४२ १८।१;१६।२२।१२ तिव्व (तीव्र) प २२७,२६ तिरियगति (तिर्यग्गति) प ६२,७,२३।१७२ तिसत्तखुत्तो (त्रिसप्तकृत्वस्) प ३६।८१ तिरियगतिपरिणाम (तिर्यग्गतिपरिणाम) प १३।३ तिसमइय (त्रिसामयिक) प ३६।६०,६७ से ६६, ७१,७५ तिरियगतिय (तिर्यग्गतिक) प १३।१६ से १८ तिसरय (त्रिसरक) ज ३।६,२२२ तिरियगामि (तिर्यगगामिन्) ज ११२२,५०,२१५८, तिहा (त्रिधा) ज ११२०,२।५५;१५५ १२३,१२८,१४८,१५१ १५७;४।१०१ तिहि (तिथि) ज ३।२०६;७।११८,१२१ सू शह तिरियलोग (तिर्यक्लोक) प २११८६ तिरियलोय (तिर्य कलोक) प २।१,४,८,१०,१३, तीत (अतीत) ज ७।३६ तीतवयण (अतीतवचन) प १११८६ १६ से १६.२८,३।१२५ से १७३,१७५,१७७ तिरियवाय (तिर्यग्वात) प १।२६ तीय (अतीत) प १५१५८।२ ज २१६०;३।२६,३६, तिरियाउय (तिर्यगायुष ) प २३।१८ ४७,५६,१३३,१३८,१४५,५॥३,२२७.५२ तिरीड (किरीट) प २।४६ ज ३।३१ तीर (तीर) ज ४।३,२५,६७ तिल (तिल) प ११४५।१,११४७।३ ज २।३७,११६ १४०३ ज २१३७.१११ तीस (त्रिंशत्) प ११८४ ज ११२० सू १११८ तिलक (तिलक) ज ३।१०६ उ ३।१४ तिलग (तिलक) ज ३।१२,८८,१७२,५।५८; तीसइ (त्रिंशत्) सू १०।४ ७/१७८ तीसति (त्रिंशत् ) सू १०।३५ तिलचुण्ण (तिलचूर्ण) प ११७६ तीसतिविह (त्रिंशद्विध) प १८७ तिलतंदुलग (तिलतण्डुलक) सू १०।१२० तु (तु) सू १६।२२ तिलपप्पडिया (तिलपर्पटिका) प ११४७।३ तुंग (तुङ्ग) प २।३१,४८ ज २११५,३।८१,१५१, तिलपुप्फवण्ण (तिलपुष्पवर्ण) सू २०१८,२०।८।३ ४१४६; ५।४३ उ ५१५ तिलय (तिलक) प ११३६।३;२।४८;१५।५५२ तुंड (तुण्ड) ज ३।२४ ज ४।४६ उ ३।११४ तुंब (तुम्ब) प ११४८।४८ उ ३।३०,३५,११६ तिलसिंगा (तिल 'सिंगा') प १११७८ तिल की फली तुंबी (तुम्बी) प ११४०११ तिवई (त्रिपदी) ज ३।१७८,५२५७ तुच्छ (तुच्छ) ज ७११८ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003555
Book TitleUvangsuttani Part 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya, Mahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1989
Total Pages1178
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size22 MB
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