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________________ प्रकाशकीय हर्ष का विषय है कि जिनागम-ग्रन्थमाला की 23 वी मणि के रूप में श्रीदशवकालिकसत्र पाठकों के कर-कमलों में अर्पित किया जा रहा है। प्रस्तुत सूत्र चार मूल सूत्रों में परिगणित है और साधु-याचार का प्रतिपादक प्रमुख प्रागम है। प्रायः सभी को प्रव्रज्याग्रहण से पूर्व ही अथवा तत्काल पश्चात् इसका अध्ययन करना आवश्यक है। वस्तुत: इस पागम को हृदयंगम किए बिना श्रमणाचार का यथावत् परिपालन होना संभव नहीं है। इस दृष्टि से इस पागम की उपयोगिता और महत्ता निर्विवाद है। प्रस्तुत प्रागम का प्रकाशन अब से बहुत पहले ही हो जाना चाहिए था, मगर कतिपय विवशताओं से विलम्ब हो गया। फिर भी आशा नहीं, विश्वास है कि इस संस्करण का अवलोकन करके आगमरसिक महानुभाव अवश्य सन्तुष्ट होंगे। दशवकालिक का अनुवाद एवं सम्पादन साहित्यवाचस्पति विद्वद्वर्य श्री देवेन्द्रमुनिजी म. की गृहस्थावस्था की भगिनी परमविदुषी महासती श्री पुष्पवतीजी म. ने करके प्रस्तुत प्रकाशन कार्य में जो महत्त्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया है, समिति उसके लिए अतीव आभारी है। श्रीदेवेन्द्रमुनिजी का अमूल्य सहयोग तो प्रारम्भ से प्राप्त हो रहा है। तथ्य यह है कि आपका सहयोग प्राप्त होने से ही आगम-प्रकाशन की गति त्वरित हो सकी है / आपके सहयोग को व्यक्त करने के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं। प्रस्तुत आगम की भी विशद, विस्तृत एवं विद्वत्तापूर्ण प्रस्तावना आपने ही लिखी है।। आशा है दशवकालिकसूत्र का यह संस्करण पाठको के लिए अत्यन्त उपयोगी सिद्ध होगा। इस संस्करण को विशेष समृद्ध बनाने में प्राचार्य पूज्यश्री पात्मारामजी म., युवाचार्य श्री महाप्रज्ञ (मुनि श्री नथमल जी म.), श्रीसन्तबालजी म. प्रादि द्वारा पूर्व में सम्पादित संस्करणों का यत्र-तत्र उपयोग किया गया है, इन सब महानुभावों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करना समुचित ही होगा। अन्य जिन-जिन महानुभावों से हमें सहयोग मिला, उन सभी के प्रति भी हम प्राभारी हैं। रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष अतनराज मेहता चांवमल विनायकिया महामंत्री मंत्री श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राज.) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003497
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages535
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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