________________ प्रथम परिशिष्ट दशवैकालिकसूत्र का सूत्रानुक्रम सूत्रसंख्या 245 416 236 422 523 436 465 57 434 377 274 सूत्र का प्रादि सूत्रसंख्या अइभूमि न गच्छेज्जा अईयम्मि य कालम्मि"जत्थ (तृ. च.) 340 अईयम्मि य कालम्मि निस्संकियं (तृ. च.) 341 अईयम्मि य कालम्मी जमट्ठ (तृ. च.) 336 प्रकाले चरसि भिक्खू 218 अगुत्ती बंभचेरस्स 321 अग्गलं फलिहं दारं 222 अजयं प्रासमाणो उ अजयं चरमाणो उ 55 अजयं चिट्ठमाणो उ 56 अजयं भासमाणो उ अजयं भुजमाणो उ 56 अजयं सयमाणो उ अजीव परिणयं णच्चा 190 अज्जए पज्जए वा वि 349 अज्ज याऽहं गणी होतो"" 550 अज्जिए पज्जिए वा वि 346 अट्ट सुहुमाई पेहाए 401 अट्ठावए य नाली य. प्रणाययणे चरंतस्स प्रणायारं परक्कम्म 420 अणिएयवासो समुयाणचरिया 564 अणुन्नए नावणए अणुन्नवेत्तु सुमेहावी अणुसोयपट्ठिए बहुजणम्मि अणुसोयसुहो लोगो अतितिणे अचवले 417 सूत्र का प्रादि अत्तद्वगुरुयो अत्थंगम्मि प्राइच्चे प्रदीणो वित्तिमेसेज्जा अधुवं जीवियं नच्चा अनिलस्स समारंभ अनिलेण न वीए, न वीयावए अन्नट्ठ पगडं लेणं अन्नाय उंछं चरई विसुद्ध अपुच्छियो न भासेज्जा अप्पग्धे वा महग्घे वा अप्पणट्ठा परट्ठा वा कोहा अप्पणट्ठा परट्ठा वा सिप्पा" अप्पत्तियं जेण सिया अप्पा खलु सययं रक्खियम्वो अप्पे सिया भोयणजाए प्रबंभवरियं घोरं अभिगम चउरो समाहियो अभिभूय काएण परीसहाई अमज्जमंसासि अमच्छरोया अमरोवमं जाणिय सोक्खमुत्तम अमोहं वयणं कुज्जा अरसं विरसं वावि अलं पासायखंभाणं अलोलुए अक्कुहए अमायी अलोलो भिक्खू न रसेसु गिद्ध अवण्णवायं च परम्मुहस्स असई बोसट्ठ-चत्तदेहे असंथडा इमे अंबा 435 575 187 278 519 534 62 552 421 211 358 501 537 562 364 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org