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________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक 10 262-263 गृहस्थ के बर्तनों में आहार करने का प्रायश्चित्त मुनि जीवन का घ्र वाचार, दशवकालिक अ. 6 में बताये दोष, अनाचार, सूयगडांग में वर्णित निषेध, भाष्योक्त दोष एवं विवेकज्ञान, वस्त्रप्रक्षालन सम्बन्धी पात्र उपयोग में सूत्रोक्त दोष का अभाव। 264 गहस्थ के वस्त्र उपयोग में लेने का प्रायश्चित्त 263 सूत्राशय, दोषकथन, मुनि आचार / गहस्थ के शय्या आसन को उपयोग में लेने का प्रायश्चित्त दशवकालिक के आधार से सूत्राशय, परिस्थितिक विधान एवं विवेक, सुप्रतिलेख्य ग्रहण, दुष्प्रतिलेख्य अप्रतिलेख्य का निषेध / गृहस्थ की चिकित्सा करने का प्रायश्चित्त 264-265 साधु का आचार एवं पागम स्थल संकलन, चिकित्सा करने के दोष, परिस्थिति एवं प्रायश्चित्त। पूर्वकर्म दोषयुक्त आहार लेने का प्रायश्चित्त 265-266 दोष का स्वरूप, गोचरी में विचक्षणता, दायक दोष, आचारांग एवं दशवकालिक में वर्णन, विवेकज्ञान एवं प्रायश्चित्त विचारणा, पूर्वकर्म दोष वाले के अतिरिक्त व्यक्ति से अन्य पदार्थ लेना कल्पनीय / 15 सचित्त जल में उपयुक्त बर्तन या हाथ आदि से आहार लेने का प्रायश्चित्त 266-267 सूत्राशय', विराधना दोष, पश्चात् कर्म, चौथे उद्देशक से तुलना, “सीओदग परिभोगेण" की व्याख्या। 16.31 रूप की आसक्ति से विभिन्न स्थल देखने जाने का प्रायश्चित्त 267-276 शब्दों की व्याख्या, हीनाधिकता एवं निर्णय, विविध व्याख्याएं, सूत्रक्रम, आचारांग से तुलना एवं उत्क्रम, प्रासक्ति निषेध के आगम स्थलों की संकलन, देखने जाने का प्रतिफल एवं दोष, विवेकज्ञान / प्रथम प्रहर के आहार की मर्यादा उल्लंघन का प्रायश्चित्त 276-277 तीसरे प्रहर की गोचरी, किसी भी एक तीसरे भाग की गोचरी, बृहत्कल्पसूत्र के विधान, निष्कर्ष और विवेक, संग्रह रखने के दोष, विवेकज्ञान एवं प्रायश्चित्त विकल्प, पोरिसी माप का ज्ञान / दो कोस से आगे आहार ले जाने का प्रायश्चित्त 278 सूत्राशय, आगे ले जाने के दोष, अर्द्ध योजन का स्वरूप, मूल स्थान रूप उपाश्रय से क्षेत्रसीमा मापने का प्रमाण / 33 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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