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________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक 209-110 30-33 ग्लान की सेवा में प्रमाद करने का प्रायश्चित्त सूत्रों का प्राशय, सेवा का महत्त्व एवं भावों की शुद्धि का विवेक, आगम में सेवाधर्म / 210-212 34-35 चातुर्मास में विहार करने का प्रायश्चित्त विहार सम्बन्धी कल्पाकल्प, चतुर्मास के चार महिने प्राचारांग में, बारह महिनों के विभागपूर्वक आगम विधान और उनसे चार महिनों के वर्षावास की सिद्धि, चतुर्मास रहने के लिए मागम में क्रियाप्रयोग एवं पर्युषण करने की क्रिया का प्रयोग, चौमासे के दो विभाग और उनके लिए प्रयुक्त शब्द, ऋतु और महिने, 'दुइज्जई' क्रिया का भाष्य-अर्थ, अधिक मास और ऋतु विभागों की कालगणना 1 212-214 36-37 पर्युषण निश्चित्त दिन न करने का प्रायश्चित्त दिन की निश्चितता सिद्धि, तिथि की निश्चितता भादवा सुदी पंचमी, अपवाद को उत्सर्ग बनाना अपराध, सूत्राशय, एकता के लिए सुझाव-लौफिक पंचांग एवं ऋषिपंचमी स्वीकृति, पूनम अमावस की पक्खी, गीतार्थ आचार्यों के निर्णय की दो गाथा एवं उसका प्राशय / 38-39 पयूषण के दिन बाल रखने और आहार करने का प्रायश्चित 214-215 पर्युषण सम्बन्धी भिक्षु के कर्तव्यों का संकलन, पर्युषण का एक दिन या पाठ दिन। पyषणा-कल्प गृहस्थ को सुनाने का प्रायश्चित्त 215-216 दशाश्रुतस्कन्ध के आठवें अध्ययन का उच्चारण, परम्पराविलुप्ति, उसका ऐतिहासिक दूषित कारण, दूषित परम्परा, अध्ययन विच्छेद / 40 216 चौमासे में वस्त्र लेने का प्रायश्चित्त समवसरण का अर्थ, "पत्ताह" शब्द का प्रासंगिक अर्थ, भ्रमविच्छेद, व्याख्या में सभी उपकरणों का सूचन एवं उनका विवेकज्ञान। 216-217 उद्देशक का सूत्रक्रमांक युक्त सारांश किन-किन सूत्रों का विषय अन्य आगमों में है या नहीं उद्देशक-११ 217-218 1-4 219-222 निषिद्ध पात्र लेने रखने का प्रायश्चित्त निषिद्ध पात्र के आगम स्थल, परिवाजकों का पात्र वर्णन, प्लास्टिक पात्र, सूत्र पाठ के शब्दों की हीनाधिकता एवं निर्णय, "हारपुड" की सप्रमाण व्याख्या, सूत्रसंख्या विचारणा एवं निर्णय, पात्र करने और बंधन करने का आशय, अण्णयराणि वा तहप्पगाराणि पाठ की विचारणा एवं निर्णय / दोषों की विस्तृत जानकारी भाष्य से। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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