________________ सूत्रांक विषय पृष्ठांक 15 68-69 गहस्थ के मना करने के बाद भी उनके घर गोचरी जाने का प्रायश्चित्त बडेजीमनवार में भिक्षार्थ जाने का प्रायश्चित्त अभिहड दोष सेवन का प्रायश्चित्त गृहस्थ के घर में प्रवेशभूमि, कितने दूर से लाया गया आहार कैसे लेना, सूत्र में "तीन" शब्द क्यों? 16-21 पात्र परिकर्म का प्रायश्चित्त शब्दार्थ, परिकम प्रवृत्ति से दोष, "फूमेज्ज रएज्ज" पद की विचारणा / 22-27 शरीर परिकर्म का प्रायश्चित्त 28-33 व्रण चिकित्सा का प्रायश्चित्त 34-39 घुमड़े आदि को शल्य-चिकित्सा का प्रायश्चित्त शब्दों की व्याख्या, छहों सूत्रों का सम्बन्ध क्रम, सकारण अकारण चिकित्सा स्वरूप, स्थविरकल्पी भिक्ष को चिकित्सा का अपवाद, उत्सर्ग अपवाद का स्वरूप, उत्सर्ग अपवाद कब और कब तक, पथभ्रष्ट साधकों का कलंकित अपवाद, अपवाद से पतन भी, एक बषि के दृष्टांत से अपवाद की मात्रा का विवेक ज्ञान, उत्सर्म-अपवाद का अधिकारी कौन ? 70 70-75 40 अपानद्वार से कृमियां निकालने का प्रायश्चित्त 75-76 कृमियों का स्वरूप एवं उत्पति का कारण / नख काटने का प्रायश्चित्त नख काटने का एकांत अनेकांत सिद्धांत विचारणा, विभिन्न आगम स्थलों का संकेत-संकलन, अकारण सकारण स्थिति का ज्ञान / 42-47 बाढ़ी मूछ एवं कांख आदि के रोम काटने का प्रायश्चित्त 48-50 वंतमंजन आदि करने का प्रायश्चित्त 77-79 प्रागमिक विधान, दंतक्षय रोग, दांत स्वस्थ रखने हेतु सावधानियां, अदंतधावन का इन्द्रियनिग्रह और संयम समाधि से सम्बन्ध, दांतों की रुग्णता एवं कभी दंतमंजन करना भी अनाचार नहीं, विवेक ज्ञान / 51-56 ओष्ठ परिकर्म का प्रायश्चित्त 57-63 चक्षु परिकर्म का प्रायश्चित्त 64-66 मस्तक आदि के केश काटने का प्रायश्चित्त प्रासंगिक 51 सूत्रों की संख्या एवं क्रम का निर्णय, चणि में सूचित 13 पद और 26 सूत्रों का प्राशय एवं उनकी तालिका / 80-81 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org