________________ 245j [निशोगसूत्र सूत्र 70 विरोधी राज्यों के बीच बारंबार गमनागमन करना / -बृहत्कल्प उ. 1, सू. 39 सूत्र 73,76,78 रात्रि में प्राहार रखना या खाना अनेक सूत्रों में निषिद्ध है। -स्थल के लिये विवेचन देखें। सूत्र 83-84 दीक्षा या बड़ी दीक्षा आदि के अयोग्य का कथन / -बृहत्कल्पसूत्र उ. 4 सूत्र 86-89 साध्वी के स्थान पर साधु को रहने आदि का निषेध / --बृहत्कल्पसूत्र उ. 3 सूत्र 90 नमक आदि के संग्रह का निषेध / -दश. अ. 6, गा. 18-19 इस उद्देशक के 71 सूत्रों के विषय का कथन अन्य आगमों में नहीं है, यथा सूत्र 6 विकट स्थिति में अर्द्धयोजन के आगे से लाया पात्र लेना। सूत्र 6-62 गृहस्थ का शारीरिक परिकर्म करना। सूत्र 63-68 स्व-पर को भयभीत करना, विस्मित करना, विपरीत अवस्था में करना या कहना। जो जिस धर्मवाला हो उसके सामने उसके धर्म तत्त्वों की प्रशंसा करना अथवा उसकी झूठी प्रशंसा करना / सूत्र 71-72 दिवसभोजन की निन्दा व रात्रिभोजन की प्रशंसा करना / सूत्र 77 अनागाढ परिस्थिति में रात्रि में अशनादि रखना। सूत्र 79 संखडी के आहारार्थ उपाश्रय का परिवर्तन करना। सूत्र 80 नैवेद्यपिंड खाना। सत्र 81-82 स्वच्छंदाचारी की प्रशंसा, बंदना करना। अयोग्य से सेवाकार्य कराना। सत्र 91 आत्मघात (बालमरणों) की प्रशंसा करना। // ग्यारहवां उद्देशक समाप्त // सूत्र 85 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org