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________________ दसवां उद्देशक] [211 इन पाठों से यह स्पष्ट है कि वर्षावास, हेमंत और ग्रीष्मकाल चार-चार मास के होते हैं। वस्त्रग्रहण सम्बन्धी विधि-निषेध व प्रायश्चित्त संबंधी सूत्रों में भी बारह महीनों का विभाग इस प्रकार किया है--- नो कप्पइ णिग्गंधाण वा णिग्गंथीण वा पढम-समोसरणुद्देसपत्ताई चेलाई पडिग्गाहेत्ताए। कप्पइ जिग्गंथाण वा णिग्गंथीण वा दोच्चसमोसरणुद्देसपत्ताई चेलाई पडिग्गाहेत्तए। -बृहत्कल्प० उ० 3, सू० 16-17 जे भिक्खू पढमसमोसरणुद्देसे पत्ताई चीवराई पडिगाहेइ, पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ / -निशीथ० उ०१०, सु० 47 वितियं समोसरणं उडुबद्धं, तं पडुच्च वासावासोग्गहो पढमसमोसरणं भण्णति। -निशीथ चूणि उ० 10, पृ० 158 ___ इन सूत्रों में भी 4 महीनों के वर्षावास को प्रथम समवसरण कहा है और आठ महीनों के ऋतुबद्ध काल को दूसरा समवसरण कहा है / इस प्रकार बारह महीनों को दो समवसरणों में विभक्त किया है। अह पुण एवं जाणिज्जा-चत्तारि मासा वासावासाणं वीइक्कता। --प्राचा० श्र० 2, अ० 3, उ०१ .. इस पाठ में भी चातुर्मास के चार महीने ही कहे हैं / अतः वर्षावास (चातुर्मास) चार मास का होता है, उपर्युक्त सूत्र पाठों से यह स्पष्ट निर्णय हो जाता है / "चातुर्मास रहने" के लिये क्रिया-प्रयोग इस प्रकार हैसेवं णच्चा णो गामाणुगाम दुइज्जेज्जा तओ संजयामेव वासावासं उल्लिएज्जा। तहप्पगारं गामं वा जाव रायहाणि वा णो वासावासं उवल्लिएज्जा। तहप्पगारं गाम वा जाव रायहाणि वा तओ संजयामेव वासावासं उवल्लिएज्जा। --प्राचा० श्रु० 2, अ० 3, उ० 1 इन सूत्रों में चार मास तक रहने के लिए 'उवल्लिएज्जा' क्रिया का प्रयोग किया गया है। पज्जोसवणा और पज्जोसवेइ क्रिया का प्रयोगजे भिक्षु अपज्जोसवणाए पज्जोसवेइ, पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ / जे भिक्खू पज्जोसवणाए ण पज्जोसवेइ ण पज्जोसवेंतं वा साइज्जइ / जे भिक्खू पज्जोसवणाए इत्तरियपि आहारं आहारेइ, आहारतं वा साइज्जइ / -निशीथ उ० 10, सु० 36-38 * इन सूत्रों में संवत्सरी के लिए पज्जोसवणा और संवत्सरी करने के लिए 'पज्जोसवेइ' क्रिया का प्रयोग हुआ है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003492
Book TitleAgam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Kanhaiyalal Maharaj, Trilokmuni, Devendramuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1991
Total Pages567
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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