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________________ प्रकाशकीय विपाकसूत्र पाठकों के कर-कमलों में समर्पित करते हुए अतीव सन्तोष एवं प्रमोद का अनुभव हो रहा है। जिस स्वरामय गति से आगम-प्रकाशन का कार्य सम्पन्न हो रहा है, वह यदि शासनदेव के अनुग्रह से, विना किसी विध्न-बाधा के चालू रहा तो समिति अल्प काल में ही सम्पूर्ण बत्तीसी पागम-प्रेमी धर्मनिष्ठ सज्जनों के हाथों में पहुंचा देगी। सूत्रकृतांग प्रथम श्रुतस्कन्ध, द्वितीय श्रतस्कन्ध, स्थानांग, समवायांग और प्रस्तुत विपाकश्रुत स्वल्प काल के अन्तर से मुद्रित हो चुके हैं। हर्ष का विषय है कि विशालकाय श्रीव्याख्याप्रज्ञप्ति (भगवती) सूत्र का मुद्रण चाल हो चुका है। आशा है इसका प्रथम भाग शीघ्र पाठकों तक पहुँच सकेगा। नन्दीसूत्र का मुद्रण पूर्ण हो चुका है। उसके प्रारंभ का प्रस्तावना आदि का तथा अन्तिम भाग परिशिष्ट का मुद्रण भी होने ही वाला है / वह भी जल्दी ही तैयार हो जाएगा। औपपातिक सूत्र का मुद्रण भी चल रहा है। राजप्रश्नीयसूत्र और प्रश्नव्याकरणसूत्र संशोधनाधीन हैं / इसी प्रकार प्रागे का क्रम भी चालू रह सके, ऐसी व्यवस्था की जा रही है / विपाकसूत्र का अनुवाद जैन समाज के प्रौढ विद्वान पं. रोशनलालजी जैन ने किया है / किन्तु अपने अस्वास्थ्य के कारण उन्होंने उसे अन्तिम रूप देने में अपनी असमर्थता प्रकट की / अतएव ग्रन्थमाला के सम्पादक म. श्री शोभाचन्द्रजी भारिल्ल ने शेष कार्य सम्पन्न किया है। विपाकसूत्र का कर्मसिद्धान्त के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होने के कारण विश्रुत विद्वान् एवं समर्थ लेखक श्रद्धय श्री देवेन्द्रमुनिजी म. शास्त्री ने इसकी प्रस्तावना में कर्मसिद्धान्त का विशद विवेचन प्रस्तुत किया है / आशा है स्वाध्यायशील पाठक उससे लाभान्वित होंगे। प्रस्तुत आगम के प्रकाशन में उदारहृदय श्रीमान् बादलचंदजी सा. चोरड़िया का महत्त्वपूर्ण सहकार प्राप्त हुया / समिति उसके लिए अतीव आभारी है। श्रमणसंघ के यूवाचार्य आगम-निष्णात पण्डितप्रवर मुनि श्री मधुकरजी म सा. आगमों के मुद्रित होने से पूर्व निरीक्षण परीक्षण करने में अपना जो बहुमूल्य समय दे रहे हैं, हमारा पथप्रदर्शन कर रहे हैं, उसके लिए हार्दिक आभार प्रकट करने के लिए हमारे पास उपयुक्त शब्द नहीं हैं। उदारचेता आगमप्रेमी अर्थ सहायकों के सहयोग से ही यह पावन अनुष्ठान अग्रसर हो रहा है / वैदिक यंत्रालय, अजमेर के प्रबन्धक श्री सतीशचन्द्रजी शुक्ल तथा जिनसे प्रत्यक्ष-परोक्ष सहयोग प्राप्त हो रहा है, उनके भी हम आभारी हैं। जतनराज महेता महामंत्री रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष चांदमल विनायकिया मंत्री Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003479
Book TitleAgam 11 Ang 11 Vipak Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages214
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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