________________ समर्पण जिन्होंमे जिनशासन के उद्योत में अनुपम योगदान दिया, लगातार साठ वर्षों तक संयम-जीवन यापन किया, राजस्थान, गुजरात, कच्छ, काठियावाड, मालवा, मेवाड़, उत्तरप्रदेश, दिल्ली और जम्मू कसे सुदूरवर्ती प्रदेशों में परिभमण करके और भीषण व्यथाएँ समभावपूर्वक सहन करके भी धर्म की अपूर्व ज्योति प्रज्वलित की, ___जो ज्ञान और चारित्र को समन्वित मूर्ति थे. जिनकी मधुर एवं प्रभावपूर्व वाणी में अद्भुत मोज और तेज था, उन महान मनीषी प्राचार्यप्रवर श्रीरघुनाथजी महाराज को स्मृति में सविनय सादर समर्पित / —मधुकर मुनि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org