________________ ॐ अहं जिनागम-ग्रन्थमाला : ग्रन्थाङ्क 11 [परमश्रद्धय गुरुदेव पूज्य श्रीजोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में प्रायोजित ] पंचम गणधर भगवत्सुधर्म-स्वामि-प्रणीत ग्यारहवाँ अंग विपाकश्रत . [ मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन, परिशिष्ट युक्त ] सन्निधि // उपप्रवर्तक शासनसेवी स्वामी श्रीव्रजलालजी महाराज संयोजक तथा प्रधान सम्पादक - युवाचार्य श्रीमिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' अनुवादक पं. रोशनलाल जैन सम्पादक 0 शोभाचन्द्र भारिल्ल प्रकाशक ] श्री प्रागमप्रकाशन-समिति, ब्यावर, राजस्थान Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org