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________________ नवमो वग्गो नौवाँ वर्ग 1.8 अध्ययन ७६-नवमस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! जाव अट्ठ अज्झयणा पण्णता, तंजहा-(१) पउमा (2) सिवा (3) सती (4) अंजू (5) रोहिणी (6) णवमिया (7) अचला (8) अच्छरा / नौवें वर्ग का उपोद्धात / सुधर्मास्वामी ने उत्तर दिया-हे जम्बू ! यावत् श्रमण भगवान् महावीर ने नौवें वर्ग के पाठ अध्ययन कहे हैं / वे इस प्रकार हैं-(१पद्मा (2) शिवा (3) सती (4) अंजू (5) रोहिणी (6) नवमिका (7) अचला और (8) अप्सरा। ७७-पढमज्झयणस्स उक्खेवओ। एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे समोसरणं / जाव परिसा पज्जवासइ / तेणं कालेणं तेणं समएणं पउमावई देवी सोहम्मे कप्पे पउमव.सए विमाणे सभाए सुहम्माए, पउमंसि सीहासणंसि, जहा कालीए / एवं अट्ट वि अज्झयणा काली-गमएणं नायव्वा / नवरं सावत्थीए दो जणीओ, हथिणाउरे दो जणीओ, कंपिल्लपुरे दो जणीओ, सागेयनयरे दो जणीओ, पउमे पियरो, विजया मायराओ। सवाओ वि पासस्स अंतिए पटवइयाओ, सक्कस्स अग्गमहिसीओ, ठिई सत्त पलिओवमाई, महाविदेहे वासे अंतं काहिति / गवमो वग्गो समत्तो। प्रथम अध्ययन का उत्क्षेप कह लेना चाहिए। सुधर्मास्वामी ने कहा-जम्बू ! उस काल और उस समय स्वामी भगवान महावीर राजगह में पधारे / यावत् जनसमूह उनकी पर्युपासना करने लगा। उस काल और उस समय पद्मावती देवी सौधर्म कल्प में, पद्मावतंसक विमान में, सूधर्मा सभा में, पद्म नामक सिंहासन पर आसीन थी। शेष वृत्तान्त काली देवी के समान जानना चाहिए / काली देवी के गम के अनुसार आठों अध्ययन इसी प्रकार समझ लेने चाहिए / काली-अध्ययन से जो विशेषता है वह इस प्रकार है-पूर्वभव में दो जनी श्रावस्ती में, दो जनी हस्तिनापुर में, दो जनी काम्पिल्यपुर में और दो जनो साकेतनगर में उत्पन्न हुई थीं। सबके पिता का नाम पद्म और माता का नाम विजया था। सभी पार्श्व अरहंत के निकट दीक्षित हुई थीं। सभी शकेन्द्र की अग्रमहिषियां हुई / उनकी स्थिति सात पल्योपम की है। सभी यावत् महाविदेह क्षेत्र में उत्पन्न होकर (संयम का पालन करके) यावत् समस्त दुःखों का अन्त करेंगी-मुक्ति प्राप्त करेंगी। / / नौवाँ वर्ग समाप्त // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003474
Book TitleAgam 06 Ang 06 Gnatadharma Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1989
Total Pages660
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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