________________ 550 ] [ ज्ञाताधर्मकथा तब सुधर्मास्वामी ने उत्तर दिया-जम्बू ! उस काल और उस समय राजगृह नगर था / भगवान महावीर वहाँ पधारे / यावत् परिषद् निकलकर भगवान् की पर्युपासना करने लगी। ६७-तेणं कालेणं तेणं समएणं कमला देवी कमलाए रायहाणीए कमलवडेंसए भवणे कमलसि सोहासगंसि, सेसं जहा कालीए तहेव / नवरं-पुत्वभवे नागपुरे नयरे, सहसंबवणे उज्जाणे, कमलस्स गाहावइस्स कमलसिरोए भारियाए कमला दारिया पासस्त अरहओ अंतिए निक्खंता, कालस्स पिसायकुमारिदस्स अग्गमाहिसी, अद्धपलिओवमं ठिई। उस काल और उस समय कमला देवी कमला नामक राजधानी में, कमलावतंसक भवन में, कमल नामक सिंहासस पर आसीन थी। आगे की शेष समस्त घटना काली देवी के अध्ययन के अनुसार हो जानना चाहिये / काली देवी से विशेषता मात्र यह है-पूर्वभव में कमला देवी नागपुर नगर में थी। वहाँ सहस्राम्रवन नामक चैत्य था। कमल गाथापति था। कमलश्री उसकी पत्नी थी और कमला पुत्री थी / कमला अरहन्त पार्श्व के निकट दीक्षित हो गई / शेष वृत्तान्त पूर्ववत् जान लेना चाहिए यावत् वह काल नामक पिशाचेन्द्र की अग्रमहिषी के रूप में जन्मी / उसकी प्रायु वहाँ अर्ध पल्योपम की है। शेष अध्ययन ६५-एवं सेसा वि अज्झयणा दाहिणिल्लाणं वाणमंतरिदाणं भाणियवाओ / सव्वाओ नागपुरे सहसंबवणे उज्जाणे, माया-पिया धूया सरिसनामया, ठिई अद्धपलिओवमं / इसी प्रकार शेष एकतीस अध्ययन दक्षिण दिशा के वाणव्यन्तर इन्द्रों के कह लेने चाहिए। कमलप्रभा आदि 31 कन्याओं ने पूर्वभव में नागपुर में जन्म लिया था। वहाँ सहस्राम्रवन उद्यान था / सब के माता-पिता के नाम कन्याओं के नाम के समान ही हैं। देवीभव में स्थिति सबकी आधेप्राधे पल्योपम की कहनी चाहिए। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org