________________ सोलहवां अध्ययन : द्रौपदी ] [471 द्रौपदी का भविष्य २३०-से णं भंते ! दुवए देवे ताओ जाव [देवलोगाओ आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता] महाविदेहे वासे जाव अंतं काहिह। गौतम स्वामी ने श्रमण भगवान् महावीर से प्रश्न किया-'भगवन् ! वह द्रुपद देव वहाँ से चय कर कहाँ जन्म लेगा? तब भगवान् ने उत्तर दिया—'ब्रह्मलोक स्वर्ग से वहाँ की आयु, स्थिति एवं भव का क्षय होने पर महाविदेह वर्ष में उत्पन्न होकर यावत् कर्मों का अन्त करेगा। निक्षेप २३१-एवं खलु जंबू ! समणेणं भगवया महावीरेणं सोलसमस्स णायज्झयणस्स अयमठे पण्णत्ते त्ति बेमि। प्रकृत अध्ययन का उपसंहार करते हुए श्री सुधर्मास्वामी ने जम्बूस्वामी से कहा- इस प्रकार निश्चय ही, हे जम्बू ! श्रमण भगवान् महावीर ने सोलहवें ज्ञात-अध्ययन का यह अर्थ प्रतिपादित किया है / जैसा मैंने सुना वैसा तुम्हें कहा है। / / सोलहवाँ अध्ययन समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org