________________ सप्तम शतक : प्राथमिक 1 [107 पाठवें उद्देशक में केवल संयमादि से सिद्ध होने के निषेध की, हाथी और कुथुए के समान जीवत्व की, नैरयिकों की 10 वेदनाओं की, हाथी और कुथुए में अप्रत्याख्यान-क्रिया की समानता की प्ररूपणा है / नौवें उद्देशक में असंवत अनगार द्वारा विकुर्वणासामर्थ्य का, तथा महाशिलाकण्टक एवं रथमूसल संग्राम का सांगोपांग विवरण प्रस्तुत किया गया है / दशवे उद्देशक में कालोदायी द्वारा पंचास्तिकायचर्चा और सम्बुद्ध होकर प्रव्रज्या स्वीकार से लेकर संल्लेखनापूर्वक समाधिमरण तक का वर्णन है / ' 1. वियाहपण्णत्ति सुत्त, विसमाणुक्कमो 44 से 48 तक Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org