SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2975
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परिशिष्ट 3 भगवतीनिर्दिष्ट शास्त्र-नामानुक्रमणिका [विशेष—पहला अंक शतक का सूचक है और दूसरा अंक उद्दे शक का सूचन करता है तथा तीसरा अंक सूत्र संख्या के लिए प्रयुक्त हुआ है। जहाँ उद्देशक नहीं है, वहाँ उद्देशक के स्थान पर शून्य का अंक रख दिया गया है। अणुओ (यो) गद्दार (जैनागराम) 5 / 4 / 26, 17 / पद) 11167,66, 71, 8626, 8652, श२६ 816184, 8669, 1011116, 24 // 2018, अथव्वणवेद (वेदग्रन्थ) 2 / 1 / 12, 6 / 33 / 2 24 / 20165, अंतकिरियापद (प्रज्ञापनासूत्र का बीसवां पद) अोहीपय (प्रज्ञापनासुत्र का तेतीसवां पद) 16 // 1 / 2 / 18 आयार (आचारांग-द्वादशांगी का प्रथम अंगसूत्र) कप्प (शास्त्र) 21112 16 / 6 / 21, 2018 / 15, 25 / 3 / 115, 256 कम्मपगडि (प्रज्ञापनासूत्र का तेईसवां पद) 141 कायट्ठिति (प्रज्ञापनासूत्र का अठारहवां पद) आवस्सय (आवश्यकसूत्र) 6 / 33 / 43 दा२११५३ पाहारुदेस (प्रज्ञापनासूत्र के अट्ठाइस पद का किरियापद (प्रज्ञापनासूत्र का बाईसवां पद) 8 / 4 / 2 प्रथम उद्देशक) 62 / 1,1111140, 16318 खंदय (व्याख्याप्रज्ञप्तिसुत्र के द्वितीय शतक का प्रथमं उद्देशक) 5 / 2 / 13 इतिहास (गास्त्र) 2 / 1 / 12 गइप्पवाय (जैन आगम) 87 / 24 इंदियउद्देसय (प्रज्ञापनासूत्र के पन्द्रहवें पद का गब्भुईसय (प्रज्ञापनासूत्र के सत्रहवें पद का छठा प्रथम उद्देशक) 214 / 1 उद्देशक) 1621 उवप्रोगपय (प्रज्ञापनासूत्र का उन्नीसवां पद) 5) चरिमपद (प्रज्ञापनासूत्र का दशवाँ पद) 828 161711 छंद (शास्त्र) 2 / 1 / 12 उबवाइ (ति) य (ोपपातिक सूत्र) 767,8 जजुब्वेद (वेद ग्रन्थ) 211112, 6 / 33 / 2 8; 8|30133123, 24, 28; 8|33 / 46;7/ जंबुद्दीवपण्णत्ति (जैन आगम) 7 / 1 / 3 33172,7133177,11 / 6 / 6,11 / 6 / 9, 11. जीवाभिगम (जैन नागम) 1311, 21712, 26 6 / 30,111 / 33, 11111126, 111111, 1, 3 / 6 / 1, 5 / 6 / 14, 618135, 7 / 4 / 2, 50,13 / 6 / 21,14/8/21, 22; 15/01148, 8 / 2 / 154, 818146,47, 6 / 2 / 2.6 / 312, 25 / 7 / 208 10 / 5 / 27, 10 / 7 / 1, 11 / 9 / 21, 12 / 313, ऊसासपद (प्रज्ञापनासूत्र का सातवां पद) 11116 12 / 6 / 33, 13 / 4 / 10, 14 / 3 / 17, 16 / 6 / 1, एयणु देस (भगवती के पांचवें शतक का सातवां 25 // 5 // 46 उद्देशक) 592 जोणीपय (प्रज्ञापनासूत्र का नवा पद) 10214 ओगाणसंठाण (प्रज्ञापनासूत्र का इक्कीसवां जोतिसामयण (शास्त्र) 2 / 1 / 12 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy