________________ बारसमे एगिदियसए : पढमाइ-नवम-पज्जंता उद्देसगा बारहवाँ एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवे उद्देशक-पर्यन्त अष्टम एकेन्द्रियशतकानुसार कापोतलेश्यी अभवसिद्धिक-एकेन्द्रियशतक-निर्देश 1. काउलेस्सप्रभवसिद्धीएहि वि सयं / [1] कापोतलेश्यी अभवसिद्धिक एकेन्द्रिय का शतक भी इसी प्रकार कहना चाहिए / 2. एवं चत्तारि [6-12] वि अभवसिद्धीयसताणि, नव नव उद्देसगा भवंति / [2] इस प्रकार (नौवें से बारहवें तक) चार अभवसिद्धिक (अवान्तर.) शतक हैं। इनमें से प्रत्येक के नौ-नौ उद्देशक हैं। 3. एवं एयाणि बारस एगिदियसयाणि भवंति / // तेतीसइमे सए : बारसमे एगिदियसए : पढमाइ-नवम-पज्जंता उद्देसगा समत्ता // 33 // 12 // 1.6 // [3] इस प्रकार एकेन्द्रिय जीवों के (कुल मिला कर) ये बारह शतक होते हैं। / बारहवां एकेन्द्रियशतक : पहले से नौवें उद्देशक तक समाप्त / / // तेतीसवां शतक : बारहवाँ एकेन्द्रियशतक सम्पूर्ण // // तेतीसवां शतक समाप्त। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org