________________ 596 व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्व आयष्य का बन्ध नहीं करते। जब वे तेजोलेश्यादिरूप शुभ परिणाम वाले होते हैं, तब एकमात्र वैमानिकदेव का प्रायुष्य बांधते हैं। इसीलिए कहा गया है कि 'सम्मदिट्ठी मणपज्जवनाणी तहेव धेमाणियाउयं पकरेंति।' तेजोलेश्यो जीवों का प्रायुष्यबन्ध-तेजोलेश्या वाले जीव के आयुष्य का बन्ध सलेश्यी जीवों के समान बताया है। इसका आशय यह है कि क्रियावादी केवल वैमानिक का आयुष्य बांधते हैं / शेष तीन समवसरण वाले जीव चारों प्रकार का प्रायुष्य बांधते हैं, क्योंकि सलेश्यी जीव में इसी प्रकार के आयुष्य का बन्ध कहा है 1' क्रियावादी आदि चारों में जीव और चौवीस दण्डकों को ग्यारह स्थानों द्वारा भव्याभव्यत्व-प्ररूपणा 64. किरियावादी गं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया, अभवसिद्धीया? गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। (64 प्र.] भगवन् ! क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक ? [64 उ.] गौतम ! वे अभवसिद्धिक नहीं, भवसिद्धिक हैं। 65. अकिरियावादी णं भंते ! जीवा किं भवसिद्धीया० पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, प्रभवसिद्धीया वि। [65 प्र.) भगवन ! प्रक्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभव सिद्धिक ? [95 उ. गौतम ! वे भवसिद्धिक भी हैं और अभवसिद्धिक भी। 66. एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि। 186] इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी जीवों के विषय में भी समझना चाहिए। 17. सलेस्सा णं भंते ! जीवा किरियावादी कि भव० पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया, नो अभवसिद्धीया। [67 प्र.] भगवन् ! सलेश्यी क्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक ? [67 उ.] गौतम ! वे भवसिद्धिक हैं, प्रभवसिद्धिक नहीं। 18. सलेस्सा गं भंते ! जीवा अकिरियावादी कि भव० पुच्छा। गोयमा ! भवसिद्धीया वि, प्रभवसिद्धीया वि। [98 प्र. भगवन् ! सलेश्यी प्रक्रियावादी जीव भवसिद्धिक हैं या अभवसिद्धिक ? [68 उ.] गौतम ! वे भवसिद्धिक भी हैं और अभवसिद्धिक भी। 66. एवं अन्नाणियवादी वि, वेणइयवादी वि / [RE] इसी प्रकार अज्ञानवादी और विनयवादी भी (सलेश्यो के समान) जानना / 1. (क) भगवती. अ. वत्ति, पत्र 947 (ख) भगवती. (हिन्दी विवेचन) भा. 7, पृ. 3622 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org