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________________ पच्चीसवां शतक : उट्ट शक 7 [491 अन्य आगमों में प्राचार्य, उपाध्याय के अतिरिक्त दूसरे साधुओं के लिए भी दसों प्रायश्चित्तों का विधान मिलता है। छठा तपोद्वार : तप के भेद-प्रभेद 166. दुविधे तवे पन्नते, तं जहा-बाहिरए य, अभितरए य / | 196] तप दो प्रकार का कहा गया है / यथा-बाह्य और आभ्यन्तर / 167. से कि तंबाहिरए तवे? बाहिरए तवे छविधे पन्नत्ते, तं जहा-अणसणमोमोरिया 1-2 भिक्खायरिया 3 य रसपरिच्चाप्रो 4 / कायकिलेसो 5 पडिसंलोणया 6 / [167 प्र. (भगवन् ! ) वह बाह्य तप किस प्रकार का है ? [167 उ. (गौतम ! ) बाह्य तप छह प्रकार का कहा गया है--(१) अनशन, (2) अवमौदर्य, (3) भिक्षाचर्या, (4) रसपरित्याग, (5) कायक्लेश और (6) प्रतिसंलीनता / विवेचन --तप और उसके भेद-शरीर, आत्मा, कर्म या विकारों को जिससे तपाया जाए, उसे तप कहते हैं। जैसे-अग्नि में तप्त होकर सोना विशुद्ध और मलरहित हो जाता है, वैसे ही तपस्या रूपी अग्नि में तपी हुई अात्मा कर्ममल, विकार या पाप आदि से रहित होकर निर्मल और विशुद्ध हो जाती है / वह तप दो प्रकार का है-बाह्य और प्राभ्यन्तर / बाह्य तप शरीर और इन्द्रियों प्रादि से विशेष सम्बन्ध रखता है, जबकि प्राभ्यन्तर तप मन और आत्मा से सम्बद्ध है / इनके प्रत्येक के छह-छह भेद हैं / अनशन तप के भेद-प्रभेद 198. से कि तं प्रणसणे? अणसणे दुविधे पन्नते, तं जहा-इत्तरिए य प्रावकहिए य / [168 प्र. भगवन् ! अनशन कितने प्रकार का है ? [198 उ.] गौतम ! अनशन दो प्रकार का कहा है, यथा--इत्वरिक और यावत्कथिक / 166. से कि तं इत्तरिए ? इत्तरिए अणेगविधे पन्नत्ते, तं जहाच उत्थे भत्ते, छठे भत्ते, अट्ठमे भत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोइसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते। जाव छम्मासिए भत्ते / से तं इत्तरिए। [166 प्र.] भगवन् ! इत्वरिक अनशन कितने प्रकार का कहा है ? 166 उ.J इत्वरिक अनशन अनेक प्रकार का कहा गया है / यथा-चतुर्थभक्त (उपवास), 1. (क) भगवती. (प्रमेयचन्द्रिकाटीका) भा. 16, पृ. 424-425 (ख) भगवती. (हिन्दी विवेचन) भा. 7, 1.3413-14 2. भगवती. (हिन्दी विवेचन) भा. 7, पृ. 3495 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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