________________ [ग्याख्याप्रशप्तिसून अधिक बताया है, ऐसी स्थिति में यहाँ मूलपाठ के साथ कैसे संगति होगी? इस शंका का समाधान यह है कि बकुश का परिमाण जो कोटिशतपृथक्त्व कहा है, वह तीन कोटिशतरूप जानना चाहिए और प्रतिसेवनाकुशील का जो कोटिशतपृथक्त्व परिमाण बताया है, वह चार-छह कोटिरूप जानना चाहिए। इस प्रकार पूर्वोक्त अल्पबहुत्व में किसी प्रकार का परस्पर विरोध नहीं पाता / ' // पच्चीसवां शतक : छठा उद्देशक सम्पूर्ण // 1. भगवती. म. पत्ति, पत्र 909 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org