SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीसवां शतक : उद्देशक 5] देसे लुक्खे 4; देसे सीए, देसा उसिणा, देसे निद्धे, देसा लुक्खा 5, देसे सोए, देसा उसिणा, देसा निद्धा, देसे लक्खे 6, देसा सीता, देसे उसिणे, देसे निद्धे, देसे लुक्खे 7; देसा सोया, देसे उसिणे, देसे निद्ध, देसा लुक्खा 8; देसा सीया, देसे उसिणे, देसा निद्धा, देसे लुक्खे 6 / एवं एए तिपदेसिए फासेसु पणवीसं भंगा। [3 प्र.] भगवन् ! त्रिप्रदेशी स्कन्ध कितने वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्श वाला कहा गया है ? [3 उ.] गौतम ! अठारहवें शतक के छठे उद्देशक के सू. 8 में कथित वर्णन के अनुसार यावत्-'कदाचित् चार स्पर्श वाला होता है' तक कहना चाहिए / यदि एक वर्ण वाला होता है तो (5) कदाचित् काला होता है, यावत् श्वेत होता है। यदि ला होता है तो12) उसका एक अंश कदाचित काला और एक अंश नीला होता है, अथवा (2) उसका एक अंश काला और दो अंश नीले होते हैं, या (3) उसके दो अंश काले और एक अंश नीला होता है, अथवा (4) एक अंश काला और एक अंश लाल होता है, या (5) एक देश काला और दो देश लाल होते हैं, अथवा (6) दो देश काले और एक देश लाल होता है। इसी प्रकार काले वर्ण के पीले वर्ण के साथ तीन भंग (पूर्ववत्) जानने चाहिए। तथा काले वर्ण के साथ श्वेत वर्ण के भी तीन भंग जानने चाहिए। इसी प्रकार नीले वर्ण के लाल वर्ण के साथ पूर्ववत तीन भंग कहने चाहिए / इसी प्रकार नीले वर्ण के तीन भंग पीले के साथ और तीन भंग श्वेत वर्ण के साथ जानना चाहिए / तथैव लाल और पीले के भी तीन भंग होते हैं। इसी प्रकार लाल वर्ण के तीन भंग श्वेत के साथ जानना चाहिए। पीले और श्वेत के भी तीन भंग जानने चाहिए। ये सब दस द्विसंयोगी मिल कर तीस भंग होते हैं। यदि त्रिप्रदेशी स्कन्ध तीन वर्ण वाला होता है तो (1) कदाचित् काला, नीला और लाल होता है, (2) अथवा कदाचित् काला, नीला और पीला होता है, अथवा (3) कदाचित् काला, नीला और श्वेत होता है, या (4) कदाचित् काला, लाल और पीला होता है, अथवा (5) कदाचित् काला, लाल और श्वेत होता है, या (6) कदाचित् काला, पीला और श्वेत होता है, अथवा (7) कदाचित् नीला, लाल और पीला होता है, या (8) कदाचित् नीला, लाल और श्वेत होता है, या (9) कदाचित् नीला, पीला और श्वेत होता है, अथवा (10) कदाचित् लाल, पीला और श्वेत होता है / इस प्रकार ये दस त्रिकसंयोगी भंग होते हैं। यदि एक गन्ध वाला होता है तो (1) कदाचित् सुगन्धित होता है, या (2) कदाचित् दुर्गन्धित होता है। यदि दो गन्ध वाला होता है तो सुगन्धित और दुर्गन्धित के (एक अंश = एकवचन और अनेक अंश - बहुवचन की अपेक्षा से पूर्ववत्) तीन भंग होते हैं। जिस प्रकार वर्ण के (45 भंग होते हैं, उसी प्रकार रस के भी (45 भंग) (कहने चाहिए / ) (त्रिप्रदेशी स्कन्ध) यदि दो स्पर्श वाला होता है, तो कदाचित शीत और स्निग्ध, इत्यादि चार भंग जिस प्रकार द्विप्रदेशी स्कन्ध के कहे हैं, उसी प्रकार यहाँ भो (4 भंग) समझने चाहिए। जब वह तीन स्पर्श वाला होता है तो (1) सर्वशीत, एक देश स्निग्ध और एक देश रूक्ष होता है, (2) अथवा-सर्वशीत, एक देश स्निग्ध और अनेक देश रूक्ष होता है, अथवा (3) सर्वशीत Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy