________________ 714] [ व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [38 उ.] गौतम ! ज्ञान-निर्वति पांच प्रकार की कही गई है, यथा-आभिनिबोधिकज्ञान-निवृत्ति, यावत् केवलज्ञान-निर्वृत्ति / 36. एवं एगिदियवज्जं जाव वेमाणियाणं, जस्स जति नाणा। [39] इस प्रकार एकेन्द्रिय को छोड़ कर जिसमें जितने ज्ञान हों, तदनुसार उसमें उतनी ज्ञाननिर्वृत्ति (कहनी चाहिए।) 40. कतिविधा णं भंते ! अन्नाणनिवत्ती पन्नत्ता ? गोयमा ! तिविहा अन्नाणनिवत्ती पन्नत्ता, तं जहा-मइअन्नाणनिव्वत्ती सुयअन्नाणनिव्वत्ती विभंगनाणनिबत्ती / [40 प्र.] गौतम ! अज्ञान-निवृत्ति कितने प्रकार की कही गई है ? [40 उ.] गौतम ! अज्ञान-निवृत्ति तीन प्रकार की कही गई है, यथा—मति-अज्ञान-निवृत्ति, श्रुत-अज्ञान-निर्वृत्ति और विभंगज्ञान-निवृत्ति / 41. एवं जस्स जति अन्नाणा जाव वेमाणियाणं / [41] इस प्रकार यावत् वैमानिक-पर्यन्त, जिसके जितने अज्ञान हों, (तदनुसार अज्ञाननिर्वृत्ति कहनी चाहिए।) 42. कतिविधा णं भंते ! जोगनिवत्ती पन्नत्ता? गोयमा ! तिविहा जोगनिन्धत्ती पन्नत्ता, तं जहा-मणजोगनिव्यत्ती, वइजोगनिम्वत्ती, कायजोगनिव्वत्ती। [42 प्र.] भगवन् ! योग-निवत्ति कितने प्रकार की कही गई है ? [42 उ.] गौतम ! योगनिवृति तीन प्रकार की कही गई है / यथा-मनोयोग-निवृत्ति, वचन-योग-निवृत्ति और काय-योग-निर्वृत्ति / 43. एवं जाव वेमाणियाणं, जस्स जतिविधो जोगो। __ [43] इस प्रकार यावत् वैमानिकों तक जिसके जितने योग हों, (तदनुसार उतनी योगनिर्वृत्ति कहनी चाहिए।) 44. कतिविधा णं भंते ! उवयोगनिवत्ती पन्नत्ता ? गोयमा ! दुविहा उपयोगनिव्वत्ती पन्नत्ता, तं जहा-सागारोवयोगनिव्यत्ती, अणागारोवयोगनिब्वत्ती। [44 प्र.] भगवन् ! उपयोग-निर्वृत्ति कितने प्रकार की कही गई है ? [44 उ.] गौतम ! उपयोग-निर्वृत्त दो प्रकार की कही गई है, यथा-साकारोपयोगनिर्वृत्ति और अनाकारोपयोग-निर्वृत्ति / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org