________________ पण्णरसमो उद्देसओ : 'विज्जु' पन्द्रहवां उद्देशक : विद्युत्कुपार (सम्बन्धो वक्तव्यता) विद्युत्कुमारों में समाहारादि की तथा लेश्या एवं लेश्या की अपेक्षा अल्पबहुत्व को प्ररूपणा 1. विज्जुकुमारा णं भंते ! सम्वे समाहारा० ? एवं चेव / सेवं भंते ! सेवं भंते ! / // सत्तरसमे सए : पण्णरसमो उद्देसओ समत्तो // 17-15 // [1 प्र.] भगवन् ! क्या सभी विद्युत्कुमार देव समान आहार वाले हैं ? इत्यादि पूर्ववत् प्रश्न / [1 उ.] गौतम ! (विद्युत्कुमार-सम्बन्धी सभी वक्तव्यता) पूर्ववत् (समझना चाहिए / ) हे भगवन् ! यह इसी प्रकार है, यों कह कर यावत् विचरते हैं / // सत्तरहयाँ शतक : पन्द्रहवाँ उद्देशक समाप्त / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org