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________________ 142] [व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [5 प्र.] भगवन् ! पांच परमाणुपुद्गल एकत्र संहत होने पर क्या स्थिति होती है ? [5 उ.] गौतम ! उनका पंचप्रदेशिक स्कन्ध बन जाता है। उसका भेदन होने पर दो, तीन, चार अथवा पांच विभाग हो जाते हैं / यदि दो विभाग किये जाएँ तो एक अोर एक परमाणुपुद्गल और दूसरी ओर एक चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध हो जाता है। अथवा एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और दूसरी ओर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध हो जाता है। तीन विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणुपुद्गल और एक त्रिप्रदेशिक स्कन्ध रहता है; अथवा एक ओर एक परमाणु-पुद्गल और दूसरी ओर पृथक-पृथक दो द्विप्रदेशिकस्कन्ध रहते हैं। चार विभाग किये जाने पर एक ओर पृथकपृयक तीन परमाणुपुद्गल और दूसरी ओर एक द्विप्रदेशीस्कन्ध रहता है। पांच विभाग किये जाने पर पृथक-पृथक् पांच परमाणु होते हैं। विवेचन-पंचप्रदेशीस्कन्ध के 6 विकल्प-यथा--१-४॥ 2-3 / 1-1-3 / 1-2-2 / 1-1-1-2 / 1-1-1-1-1 // छह परमाणु-पुद्गलों का संयोग-विभाग निरूपण - 6. छभंते ! परमाणुपोग्गला० पुच्छा। गोयमा ! छप्पदेसिए खंधे भवइ / से भिज्जमाणे दुहा वि, तिहा वि, जाव छहा वि कज्जइ / दुहा कज्जमाणे एगयओ परमाणुपोग्गले, एगयओ पंच पएसिए खंधे भवति, अहवा एगयओ दुपएसिए खंधे, एगयओ चउपदेसिए खंधे भवति; अहवा दो तिपदेसिया खंधा भवंति / तिहा कज्जमाणे एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ चउपएसिए खंधे भवति; अहवा एगयनो परमाणुपोग्गले, एगयो दुपएसिए खंधे, एगयो तिपदेसिए खंधे भवति अहवा तिणि दुपदेसिया खंधा भवंति / चउहा कज्जमाणे एगयओ तिन्नि परमाणुपोग्गला, एगयओ तिपदेसिए खंधे भवति; अहवा एगयओ दो परमाणुपोग्गला, एगयओ दो दुपदेसिया खंधा भवंति। पंचहा कज्जमाणे एगयओ चत्तारि परमाणुपोग्गला, एगयो दुपएसिए खंधे भवति / छहा कज्जमाणे छ परमाणुपोग्गला भवंति / / [6 प्र. भगवन् ! छह परमाणु-पुद्गल जब संयुक्त होकर इकट्ठे होते हैं, तब क्या बनता है ? [6 उ.] गौतम ! उनका षट्प्रदेशिक स्कन्ध बनता है। उसका भेदन होने पर दो, तीन, चार, पांच अथवा छह विभाग हो जाते हैं / दो-विभाग किये जाने पर एक अोर एक परमाणु-पुद्गल और एक अोर पंचप्रदेशिक स्कन्ध होता है; अथवा एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध रहता है / अथवा दो त्रिप्रदेशो स्कन्ध होते हैं। तीन विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक्-पृथक् दो परमाणु-पुद्गल और एक ओर चतुष्प्रदेशिक स्कन्ध रहता है / अथवा एक ओर ण-पूदगल, एक ओर द्विप्रदेशिक स्कन्ध और एक और त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है, अथवा तीन पृथक-पृथक द्विप्रदेशिक होते हैं। चार विभाग किये जाने पर एक ओर तीन पृथक परमाणपूद-, गल एक अोर त्रिप्रदेशिक स्कन्ध होता है / अथवा एक ओर पृथक्-पृथक दो परमाणु पुद्गल, एक पोर पृथक-पृथक् दो द्विप्रदेशी स्कन्ध होते हैं। पांच विभाग किये जाने पर एक ओर पृथक-पृथक् चार परमाणु पुद्गल और एक अोर द्विप्रदेशिक स्कन्ध होता है; और छह विभाग किये जाने पर पृथक्-पृथक छह परमाणु-पुद्गल होते हैं / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003473
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages2986
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size69 MB
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