________________ [71 ग्यारहवां शतक : उद्देशक-११] [16-1 प्र.] भगवन् ! क्या इन पल्योपम और सागरोपम का क्षय या अपचय होता है ? [16-1 उ.] हाँ, सुदर्शन होता है। [2] से केणढेणं भंते ! एवं बुच्चति 'अस्थि णं एएसि पलिओवम-सागरोवमाणं जाव अवचये ति वा? 116-2 प्र.| भगवन् ! ऐसा किस कारण से कहते हैं कि इन पल्योपम और सागरोपम का क्षय या अपचय होता है ? महाबलवृत्तान्त 20. एवं खलु सुदंसणा! तेणं कालेणं तेणं समएणं हथिणापुरे नाम नगरे होत्था, वण्णओ। सहसंबवणे उज्जाणे, वण्णप्रो। [20] (उदाहरण द्वारा समाधान--) हे सुदर्शन ! उस काल और उस समय में हस्तिनापुर नामक नगर था / उसका वर्णन करना चाहिए। वहाँ सहस्राम्रबन नामक उद्यान था। उसका वर्णन करना चाहिए। 21. तत्थ णं हत्थिणापुरे नगरे बले माम राया होत्था, वण्णओ। 21] उस हस्तिनापुर में 'बल' नामक राजा था / उसका वर्णन करना चाहिए। 22. तस्स गं बलस्स रणो पभावती नामं देवी होत्था सुकुमाल० वण्णओ जाव विहरति / [22] उस बल राजा को प्रभावती नाम की देवी (पटरानी) थी। उसके हाथ-पैर सुकुमाल थे, इत्यादि वर्णन जानना चाहिए; यावत् पंचेन्द्रिय संबंधी सुखानुभव करती हुई जीवनयापन करती थी। विवेचन—पल्योपम-सागरोपम के क्षय-अपचय की सिद्धि के लिए सुदर्शन श्रेष्ठी की पूर्वभवकथा-प्रारम्भ-प्रस्तुत 4 सूत्रों (16 से 22 तक) में पल्योपम-सागरोपम के क्षय और अपचय को सिद्ध करने हेतु भगवान् ने सुदर्शन श्रेष्ठी के पूर्वभव की कथा प्रारम्भ की है। इसमें हस्तिनापुर नगर, सहस्राम्रवन-उद्यान, बलराजा, प्रभावती रानी, इनका वर्णन प्रौषपातिकसूत्र द्वारा जान लेने का अतिदेश किया गया है।' क्षय और अपचय-क्षय का अर्थ है—सम्पूर्ण विनाश / अपचय का अर्थ है ---देशतः अपगम-- क्षय / प्रभावती का वासगृहशय्या-सिंहस्वप्न-दर्शन 23. तए णं सा पभावती देवी अन्नया कयाइ तसि तारिसगंसि वासघरंसि अभितरओ सचित्तकम्मे बाहिरतो दूमियघट्ठमठे विचित्तउल्लोगचिल्लियतले मणिरतणपणासियंधकारे बहुसमसुविभत्त. 1. वियाहपण्णत्तिसुत्तं (मूलपाठ-टिप्पण) भा. 2, पृ. 537 2. भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 539-540 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org