________________ एक्कारसं सयं : ग्यारहवां शतक [1- संग्रह-गाथार्थ ...] 1. उप्पल 1 सालु 2 पलासे 3 कुंभी 4 नालीय 5 पउम 6 कण्णीय 7 // नलिण 8 सिव 6 लोग 10 कालाऽऽलभिय 11-12 दस दो य एक्कारे // 1 // ग्यारहवें शतक के बारह उद्देशक इस प्रकार हैं--(१) उत्पल, (2) शालूक, (3) पलाश, (4) कुम्भी, (5) नाडीक, (6) पद्म, (7) कणिका, (8) नलिन, (6) शिवराजर्षि, (10) लोक, (11) काल और (12) पालभिक / विवेचन-बारह उद्देशकों का स्पष्टीकरण प्रस्तुत सूत्र 1 में ग्यारहवें शतक के 12 उद्देशकों के नाम क्रमश: दिये गए हैं / इनका स्पष्टीकरण इस प्रकार है---(१) उत्पल के जीव के सम्बन्ध में चर्चा-विचारणा, (2) शालूक के जीवों से सम्बन्धित विचार, (3) पलाश के जीवों के सम्बन्ध में चर्चा, (4) कुम्भिक के जीवों के सम्बन्ध में चर्चा, (5) नाडीकजीव-सम्बन्धी चर्चा, (6) पद्मजीवसम्बन्धी चर्चा, (7) कणिकाजीवविषयक चर्चा (8) नलिनजीव-सम्बन्धी चर्चा, (6) शिवराजषि का जीवन-वृत्त, (10) लोक के द्रव्यादि के आधार से भेद, (11) सुदर्शन के कालविषयक प्रश्नोत्तर एवं महाबल चरित्र तथा (12) पालभिका में प्ररूपित ऋषिभद्र तथा पुद्गलपरिव्राजक की धर्मचर्चा और समर्पण। एकार्थक उत्पलादि का पथक ग्रहण क्यों ? - यद्यपि उत्पल, पद्म, नलिन आदि शब्दकोश के अनुसार एकार्थक हैं, तथापि रूढिवशात् इन सब को विशिष्ट मान कर पृथक्-पृथक् ग्रहण किया है।' 1. (क) वियाहपत्तिसुत्तं (मूलपाठ-टिप्पण), भा. 2, पृ 506 (ख) भगवती. अ. वृत्ति, पत्र 511. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org