________________ ॐ अहं जिनागम-प्रन्थमाला: ग्रन्थाङ्क 22 [परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्रीजोरावरमलजी महाराज को पुण्य-स्मृति में प्रायोजित ] पंचम गणधर भगवत्सुधर्म-स्वामि-प्रणीत पञ्चम अंग व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र [भगवतीसूत्र-तृतीय खण्ड, शतक 11-16] [ मूलपाठ, हिन्दी अनुवाद, विवेचन, टिप्पण युक्त] प्रेरणाउपप्रवर्तक शासनसेवी स्व० स्वामी श्रीव्रजलालजी महाराज प्राद्यसंयोजक तथा प्रधान सम्पादक [. (स्व०) युवाचार्य श्रीमिश्रीमलजी महाराज 'मधुकर' अनुवादक-विवेचक-सम्पादक . श्री अमर मुनिजी [भण्डारी श्री पदमचन्दजी म. के सुशिष्य] श्रीचन्द सुराणा 'सरस' मुख्य सम्पादक 7 पं. शोमाचन्द्र भारिल्ल प्रकाशक श्री प्रागमप्रकाशन-समिति, ब्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org