________________ 705 244 ] [ सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय श्रुतस्कन्ध पाणाइ(ति)वात(य) 681, 713-715, पितिमरणाणं 716 749-751, 856, 857 पाणि 718 पित्ताए पाणितले 820 पिन्नागबुद्धीए पाण 688,710, 839, 840 पियविप्पोगाणं पातरासाए (प्रातराश) 688 पीढ-फलग-सेज्जासंथारएणं 715 पाति 718 पुडरीगिणी पादतला 648 पु (पो) क्खरणी पामिच्चं 687 पुक्खरपत्तं 714 पायच्छिण्णयं 713 पुक्खलत्ताए 730 पायच्छितं 705 पुक्खलस्थिभएहि 731 पायपूछणं 652, 707 पुक्खलस्थिभगजोणियाणं पाया पुक्खलस्थिभगत्ताए 730 पारविदु 693 पुक्खलथिभगाणं 730, 731 पाव 747,748, 766, 781, 725, 867 पुलाभिया 714 पावकम्मे पुट्ठा पावयणं 715,854 पुढविकाइ (यि) या 676, 746, 751 पावसुयज्झयणं 753 पावाइणो पावाइयसताई पुढविकाय 717 पावइया 718 पुढविजोणिया 723, 725, 728, 726 पावियाए 748 731 पासो 748 पुढवित्ताए 745 पासाई 704 पुढविवक्कमा पासादि (दी) या पुढविसरीरं 723, 724, 733, 735 पासावच्चिज्जे (पापित्यीय) 845 पुढविसंभवा 723, 725, 725 पिईहिं 666 पुढवी 656, 723, 725, 728 पिउं सुक्कं 734 पुढवीजाते 696 पुढवीसंवुड्ढा 660 पिट्ट(ड्ड)ण 713 पुढो 688 पिट्टणताए 751 पुढोभूतसमवातं 656 पिट्ट (ड्ड) ति (ते) 710 पुण्णखधं 815, 826 पिट्ठिमंसि 704 पुण्ण 766,836 पिण्णागपिंडी (पियापिडी) 812 पुत्त 671, 688, 666, 704, 713 पिण्णाए 650 [6] पुत्तमरणाणं 716 पिण्णायपिंडी 214 पुत्तपोसणयाए 666 [2] पिता 671, 713 पुष्फत्ताए 723 पिच्छाए Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org