________________ 228 ] [ सूत्रकृतांगसूत्र-द्वितीय श्र तस्कन्ध आइक्खामि आइक्खियव्व आइगरे आउए पाउं आउत्तं पाउमण्णहा आउयं पाउसरीरं पाउसिणेहं पाउसो पाउसंतेण पाउसंतो 0 KI RKWS 644 प्राता 705, 854, 855 प्रादहणाए 648 आदा (या) णसो 858-862, 865 846 आदाणातो 860, 865 आदाणेणं 707 आदाय 848 आदिकरा 850, 858,859 आदियति / 723 प्रादेसाए 733 आबाहंसि 837, 845, 847, 852 आभागिणो 716, 720 638,664 आभागी 666 845, 848, 841 आमयकरणि 708 853-855, 866, 866 आमरणताए 853, 858, 856, 860, *656, 675 आमलए 650 646, 843 आमलक 650 680, 707 आयछट्ठा 656 710, 713 आयजीविया 788 714 प्रायजोगी 721 680 आयजोणियाणं 640-643, 954, 855 आयते आयत्ताए प्रायदंड 806, 811, 827 पायनिप्फेडए 721 716, 720 पायपज्जवे 648 716, 720 प्रायमणि 708 746, 751, 753 आयरक्खिते 721 866 प्रायरियं 653 प्रायस्स 805, 807 आया 747 721 आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमित (य) 707, 714 721 प्रायाणवं 841 721 आयाणह 853, 855 721 आयाणियब्वं 853, 855 665 आयाणुकंपए 440 आऊ आएहिं आयोगपयोगसंपउत्ते आगमि (मे) स्सा प्रागमिस्साणं प्रागमेस्सभद्दया आगमेस्सा आगम्म पागासे प्रागंतागारे आगंतु आगंतु छेयाए आगंतु भेयाए आचार्य आढाति आणाए आणवेमाणस्स आतगुत्ते आतट्ठी आतपरक्कमे आतहिते आतहेउं 728 721 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org