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________________ सूत्रकृतांग सत्र:-प्रथम श्रुतस्कन्ध विशिष्ट शब्द सूत्राडू विशिष्ट शब्द सूत्राङ्क विहर विहारगमण . m 541 वीरत्तं 426 426 66, 140, 251, 258, 280 वेसिया (वैशिक) 438 167 वेस्सा (वैश्य) 438 विरणिय 36 वेहासे (विहायस्) वीतगेही 435 वोदाण 566 वीमसा 44 वोसठ्ठकाए 632, 633, 635, 636, 637 वीर 1,66,100,106, 266, 376, 411, 432, वंझ (वन्ध्य ) 433, 468, 470 वंदण 121 411 वंदणपूयणा 458 वीरिय 360, 411, 628 सउणी (शकुनि) 46, 103 वीससेण 373 सए (स्वके) बुसि(सी)मं 582, 610 सअंगाई बुसिय (ब्युषित) 86 सकम्मविरिय 416 खुसीमतो(ओ) (वृषिमत्) 426, 511, 610 सकम्णुणा 361, 441, 516 वेगंतवदातसुक्कं 367 सक्क (शक्य) 356 वेणइया 537 सक्कार (सत्कार) 637 वेणइयाणवायं 378 सगडं (शकट) 410 218 सगा (स्वका) 372 सगिरा वेणुपलासियं (वेणुपलाशिका) 284 सग्धे (श्लाध्य) 197 वेणुफलाई 285 सच्च 156, 374, 537, 606 वेतालिय 343 सच्चरत 484 घेतालियमग्ग 110 सजीवमच्छ 28, 30, 52, 327, 346, 362 सजोति 306, 330 वैदेही 226 सडिडिम 261 वेधादीयं (वेधादिक) 453 सड्ढी (श्रद्धी) 60, 512 वेय(a)रणी 240, 307 सढ (शठ) वेयाणुवीइ 265 सणफय (सनखपद) 333 वेर 3, 410,436, 486 सणियाणप्पओगा 575 देराणुगिद्ध 481 सण्णिसेज्जा (सन्निषद्य) 262 वेराणुबंधि 463 सत(य) 325, 361 417 सतग्गसो 384 वेसालिया 61, 63 सतत वेसालीए 164 सतिविप्पहूणा वेणु 184 वेणुदेव 539 314 वेद बेरी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003470
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages847
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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