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________________ सूत्रकृतांग सत्र-प्रथम श्रुतस्कन्ध गाथा सूत्राङ्क गाथा सूत्राङ्क 504 36 126 अप्पेगे पलियतसि अप्पेगे वई जुजंति अप्पेण अध्यं इह वंचइत्ता अब्भागमितंमि वा दुहे अभविसु पुरा धीरा अविसु पुरा वि भिक्खवो अभिजुजिया रुद्द असाहुकम्मा अभुजिया णमी वेदेही अमणुग्ण समुप्पादं अय' व तत्त जलितं सजोति अति रति च अभिभूय भिक्खू अरति रति च अभिभूय भिक्खू अलूसए णो पच्छण्ण भासी अवि धूयराहिं सुहाहि अवि हत्थ-पादछेदाए अवि हम्ममाणे फलगावतट्ठी असूरिय नाम महाभितावं असंवडा अणादीय अरिंस च लोए अदुवा परत्था अस्सि सुठिच्चा तिविहेण तायी अह णं वतमावण्णं अह णं से होति उवलद्धो अह तत्थ पुणो नमयंती अह तं तु भेदमावन्न अह तं पवेज्ज बझं अह तेण मूडेण अमुडगस्स अह ते परिभासेज्जा अह पास विवेगमुठिए अह सेऽणुतप्पती पच्छा अहा बुइयाई सुसिक्खएजा अहावरं पुरक्खायं अहावरं सासयदुक्खधम्म 176 अहावरा तसा पाणा 174 अहियप्पाहियपण्णाणे 325 अहिगरणकडस्स भिक्खुणो 156 अहिमे संति आवट्टा 631 अहिाँ सुहुमा संगा 162 अहो य रातो व समुट्ठितेहिं 341 अहो वि मत्ताण विउट्टणं च 226 आउक्खयं चेव अबुज्झमाणे 66 आघातकिच्चमाधातु 330 आघायं पुण एगेसि 486 आघं मइमं अणवीति धम्म 574 आदीणभोई विकरेति पावं 605 आमंतिय ओसविय वा 256 आयगुत्ते सया दंते 267 आतदंडसमायारा 410 आय न कुज्जा इह जीवितट्ठी 310 आसंदिय च नवसुतं 75 आसंदी पलियंके य 384 आसिले देविले चेव 565 आसूणिमक्खिरागं च 533 आहंसु महापुरिसा 281 आहत्तहिय तु पवेय इस्सं 255 आह्त्तहिय समुपेहमाणे 276 आहाकडं चेव निकाममीण 35 आहाकडं वा ण णिकामएज्जा 560 इंभालरासि जलियं सजोति 214 इच्चेयाहिं दिट्ठीहि 66 इच्चेवं पडिलेहति 256 इच्चेवं णं सुसेहं ति 604 इच्घेवमाहु से वीरे 51 इण मन्नं तु अण्णाणं 327 इणमेव खण वियाणिया W8 0 0 16 KG G WAPKNm Wii 0 162 457 227 451 225 557 576 483 208 mM m Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003470
Book TitleAgam 02 Ang 02 Sutrakrutanga Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Shreechand Surana, Ratanmuni, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1982
Total Pages847
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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