________________ प्राथमिक 10 इस अध्ययन में इसी प्रशस्त भाव-आदान के सन्दर्भ में विवेक को दुर्लभता, संयम के सुपरिणाम, भगवान् महावीर या वीतराग पुरुष का स्वभाव, संयमी पुरुष की जीवन पद्धति, विशाल चरित्र सम्पन्नता आदि का निरूपण है। इस अध्ययन में कुल पच्चीस गाथाएँ हैं, जो यमकालंकार युक्त एवं शृंखलावत् हैं। / प्रस्तुत अध्ययन सूत्रगाथा 607 से प्रारम्भ होकर 631 सूत्रगाथा पर पूर्ण होता है / 2 (क) सूत्रकृतांगनियुक्ति मा० 132 से 136 तक (ख) सूत्र कृ० शी० वृत्ति पत्रांक 252-253 (ग) जैन साहित्य का बृहद् इतिहास, भा० 1, पृ० 155 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org