________________ धम्मे-नवमं अज्झयणं धर्म : नवम अध्ययन जिनोक्त श्रमणधर्माचरण-क्यों और कैसे? 437. कतरे धम्मे अक्खाते माहणेण मतीमता। . अंजु धम्म अहातचं जिणाणं तं सुणेह मे // 1 // 438. माहणा खत्तिया बेस्सा, चंडाला अदु बोक्कसा'। एसिया वेसिया सुद्दा, जे य आरंभणिस्सिता // 2 // 436. परिग्गहे निविठ्ठाणं, वेरं तेसि पवडई। आरंभसंभिया कामा, न ते दुक्खविमोयगा / / 3 // 440. आघातकिच्चमाधानायओ विसएसिणो। अन्न हरंति तं वित्तं, कम्मी कम्मेहि कच्चति / / 4 / / 441. माता पिता ण्हुसा भाया, भज्जा पुत्ता य ओरसा। णालं ते तव ताणाए, लुप्पंतस्स सकम्मुणा // 5 // 442. एयमटुंसपेहाए, परमट्ठाणुगामियं / निम्ममो निरहंकारो, चरे भिक्खू जिणाहितं // 6 // 1 तुलना करें-"खत्तिया माहणा वेस्सा सुद्दा चण्डालपुक्कसा।" -सुत्तपिटक खुद्दकनिकाय जातकपालि भा०-१ पृ० 116 2 तुलना--(क) उत्तराध्ययन सूत्र अ०६/३ में यह गाथा प्रायशः मिलती है। (ख) 'नालं ते तव ताणाए वा सरणाए वा--आचा० प्र० श्रु० सू०६४, 66, 67, 81 -आचासंग विवेचनयक्त प्र० श्र० अ०२, उ०१, 4 पृ० 41, 43, 44, 45 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org