________________ (ॐअर्ह जिनागम ग्रन्थमाला : ग्रन्थांक[परमश्रद्धेय गुरुदेव पूज्य श्री जोरावरमलजी महाराज की पुण्यस्मृति में आयोजित] पंचम गणधर भगवत् सुधर्मस्वामि-प्रणीत : द्वितीय अंग सूत्रकृतांगसूत्र ( प्रथम श्रुतस्कन्ध) [मूल पाठ, हिन्दी अनुवाद-विवेचन-टिप्पण-परिशिष्ट युक्त] सन्निधि। उपप्रवर्तक स्वामी श्री ब्रजलाल जी महाराज संयोजक तथा प्रधान सम्पादक / श्री स्थानकवासी जैन श्रमण संघ के युवाचार्य श्री मिश्रीमल जी महाराज 'मधुकर' सम्पादक-अनुवादक-विवेचक / श्रीचन्द सुराना 'सरस' प्रकाशक श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर (राजस्थान) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org