________________ 263 प्रथम उद्देशक : गाथा 305 से 324 308 कोलेहि विज्झंति असाहुकम्मा, नावं उते सतिविप्परगा। ___ अन्न स्थ सूलाहि तिसूलियाहिं, दोहाहि विद्ध ण अहे करेंति // 6 // 306. केसिंच बंधित्तु गले सिलाओ, उदगंसि बोलेंति महालयंसि / फलंबुयावालुय मुम्मुरे य, लोर्लेति पच्चंति या तत्थ अन्न // 10 // 310. असूरियं नाम महभितावं, अंधतमं दुप्पतरं महतं / उड्ढं अहे य तिरिय दिसासु, समाहितो जत्थगणो झियाति / / 11 / / 311. जंसि गुहाए जलणेऽतियट्ट, अजाणओ डन्झति लुत्तपण्णे / सया य कलुणं पुण घम्मठाणं, गाढोवणोयं अतिदुक्खधम्मं // 12 // 312. चत्तारि अगणीओ सभारभित्ता, हि कूरकम्माऽभितवेति बालं। ते तत्थ चिट्ठतऽभितप्पमाणा, मच्छा व जीवंतुवजोतिपत्ता // 13 // 313. संतच्छणं नाम महभितावं, ते नारगा जत्थ असाहुकम्मा / हत्थेहि पाएहि य बंधिऊणं, फलगं व तच्छंति कुहाडहत्या // 14 // 314. रुहिरे पुणो बच्चसमूसियंगे, भिन्नुत्तमंगे परियत्तयंता / पयंति गं गेरइए फुरते, सजीवमच्छे व अओकवल्ले // 15 // 315. णो चेव ते तत्थ मसीभवंति, ण मिज्जती तिव्यभिवेदणाए। तमाणुभागं अणुवेदयंता, दुक्खंति दुक्खो इह दुक्कडेणं // 16 / / 316. तहिं च ते लोलणसंपगाढे, गाढं सुतत्तं अगणि वयंति / न तत्थ सातं लभतोऽभिदुग्गे, अरहिताभितावा तह वी तवेति // 17 // 317. से सुन्धती नगरवहे व सद्दे, बुहोवणोताण पदाण तत्थ। उदिण्णकम्माण उदिण्णकम्मा, पुणो पुणो ते सरहं दुहेति / / 18 // 318. पाणेहि गं पाव विओजयंति, तं भे पवक्खामि जहातहेणं / दंडेहि तत्था सरयंति बाला, सत्वेहिं दंडेहि पुराकरहि // 16 // 316. ते हम्ममाणा गरए पडंति, पुण्णे दुरूबस्स महभितावे। ते तत्थ चिट्ठति दुरूवभक्खो, तुति कम्मोवगता किमोहि।। 20 / / 320. सदा कसिणं पुण धम्मठाणं, गाढोवणीयं अतिदुक्खधम्म / ___ अंदुसु पक्खिप्प विहत्तु देहं, वेहेण सोसं सेऽभितावयंति // 21 // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org