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________________ पंचमं अज्झयणं : पंचम अध्ययन पिंडेसणा : पिण्डैषणा प्राथमिक यह दशवैकालिक सूत्र का पांचवां अध्ययन है। इसका नाम पिण्डैषणा है। सजातीय एवं विजातीय ठोस वस्तु के एकत्रित होने को 'पिण्ड' कहते हैं, किन्तु यहां 'पिण्ड' शब्द पारिभाषिक है, जो अशन, पान, खाद्य और स्वाद्य इन चारों प्रकार के आहार के लिए प्रयुक्त होता है। पिण्ड के साथ एषणा शब्द का षष्ठीतत्पुरुष या चतुर्थीतत्पुरुष समास होने से 'पिण्डैषणा" शब्द निष्पन्न हुआ है। इसका अर्थ हुआ—पिण्ड की अर्थात् —चतुर्विध आहार की एषणा। अथवा पिण्ड अर्थात् —चतुर्विध आहार के लिए, अथवा देहपोषण के लिए एषणा। एषणा शब्द यों तो इच्छा या तृष्णा अर्थ में प्रचलित है, जैसे—पुत्रैषणा, वित्तैषणा आदि। परन्तु यहां यह शब्द जैन पारिभाषिक होने से इच्छा या तृष्णा अर्थ में प्रयुक्त न होकर दोष-अदोष के अन्वेषण, निरीक्षण या शोध अर्थ में प्रयुक्त हुआ है। एषणा शब्द के अन्तर्गत गवेषणैषणा (आहार के शुद्धाशुद्ध होने की अन्वेषणा=जांच पड़ताल); ग्रहणैषणा (आहार ग्रहण करते समय लगने वाले दोष-अदोष का निरीक्षण) और परिभोगैषणा (भिक्षा में प्राप्त आहार का सेवन करते समय लगने वाले दोषादोष का विचार), इन तीनों का समावेश हो जाता हैं। ___ इसलिए प्रस्तुत अध्ययन में पिण्ड की गवेषणैषणा, ग्रहणैषणा और परिभोगैषणा, इन तीनों दृष्टियों से वर्णन किया गया है। अतएव इसका नाम 'पिण्डैषणा' रखा गया है। आचारांगसूत्रान्तर्गत आचारचूला के प्रथम अध्ययन में भी इस विषय का प्रतिपादन किया गया है, वह इसका विस्तार है या यह उसका संक्षेप, यह कहना कठिन है, किन्तु दोनों अध्ययन आठवें 'कर्मप्रवादपूर्व' से उद्धृत किए गए हैं, ऐसा नियुक्तिकार का मत है। 0 चतुर्थ अध्ययन में साधु-साध्वी के मूलगुणों तथा उनसे सम्बद्ध षड्जीवनिकाय की रक्षा, यतना, १. (क) 'पिडि संघाते' धातु से निष्पन्न पिण्ड शब्द। (ख) पिण्डनियुक्ति, गाथा ६ (ग) 'यत्पिण्डे तद् ब्रह्माण्डे' वैदिकसूत्र । २. "गवेसणाए गहणे य परिभोगेसणाए य। आहारोवहिसेज्जा, एए तिनि विसोहए ।" -उत्तरा० २१/११ ३. 'कम्मप्पवायपुव्वा पिंडस्स एसणा तिविहा।' -दशवै. नियुक्ति १/१६
SR No.003465
Book TitleAgam 29 Mool 02 Dasvaikalik Sutra Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShayyambhavsuri
AuthorMadhukarmuni, Shobhachad Bharilla, Pushpavati Mahasati
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1985
Total Pages535
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Ethics, & agam_dashvaikalik
File Size11 MB
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