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विषयानुक्रमणिका
सूत्र
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प्रज्ञापनासूत्र - विषयपरिचय मंगलाचरण और शास्त्र सम्बन्धी चार अनुबन्ध प्रज्ञापनासूत्र के छत्तीस पदों के नाम
प्रथम प्रज्ञापनापद प्रज्ञापना : स्वरूप और प्रकार अजीवप्रज्ञापना : स्वरूप और प्रकार अरूपी-अजीव-प्रज्ञापना रूपी-अजीव-प्रज्ञापना (वर्ण-गंध-रस-स्पर्श-संठाण) रूपी अजीव की परिभाषा, धर्मास्तिकाय आदि की परिभाषा, वर्णपरिणत पुद्गलों के भेद तथा उनकी व्याख्या (२९-३०)
जीव प्रज्ञापना : स्वरूप और प्रकार १५-१७ असंसारसमापन्न जीव-प्रज्ञापना
(असंसारसमापन्न जीवों (सिद्ध) के १५ भेद –(३२-३३) १८ संसारसमापन्न जीव-प्रज्ञापना के पांच प्रकार १९ एकेन्द्रिय संसारी जीवों की प्रज्ञापना २०-२५ पृथ्वीकायिक जीवों की प्रज्ञापना २६-२८ अप्कायिक जीवों की प्रज्ञापना २९-३१ तेजस्कायिक जीवों की प्रज्ञापना ३२-३४ वायुकायिक जीवों की प्रज्ञापना ३५-५३ वनस्पतिकायिकों की प्रज्ञापना
(प्रत्येक शरीर बादर वनस्पति के १२ भेद-४८-५६) ५४-५५ साधारणशरीर बादर वनस्पतिकायिक (अनन्तकाय) का स्वरूप तथा प्रकार
(वृक्षादि १२ भेदों की व्याख्या प्रत्येकशरीरी अनेक जीवों का एक शरीराकार कैसे? दो दृष्टान्त अनन्त जीवों वाली वनस्पति के लक्षण
बीज का जीव मूलादि का जीव बन सकता है या नहीं ? साधारणशरीर बादर वनस्पतिकायिक जीवों का लक्षण
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