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________________ चतुर्थ स्थितिपद] [३४३ गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी। [३८४-१ प्र.] भगवन् ! भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३८४-१ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट पूर्वकोटि की है। [२] अपज्जत्तयभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेण वि उक्कोसेण वि अंतोमुहत्तं। [३८४-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्त भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३८४-२ उ.] गौतम! (उनकी) जघन्य स्थिति भी अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तयभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहणेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं पुव्वकोडी अंतोमुहुत्तूणा । [३८४-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्त भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३८४-३ उ.] गौतम! जघन्य अन्तर्मुहूर्त की है और उत्कृष्ट अन्तर्मुहूर्त कम पूर्वकोटि की है। ३८५. [१] सम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहणणेणं अंतोमुहुत्तं, उक्कोसेणं बायालीसं वाससहस्साई। [३८५-१ प्र.] भगवन् ! सम्मूछिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३८५-१ उ.] गौतम! (उनकी) जघन्य स्थिति अन्तर्मुहूर्त की है तथा उत्कृष्ट स्थिति बयालीस हजार वर्ष की है। [२] अपज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णण वि उक्कोसेण वि अंतोमहत्तं। [३८५-२ प्र.] भगवन् ! अपर्याप्तक सम्मूछिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों की स्थिति कितने काल की कही गई है ? [३८५-२ उ.] गौतम! जघन्य भी और उत्कृष्ट भी अन्तर्मुहूर्त की है। [३] पज्जत्तयसम्मुच्छिमभुयपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा । गोयमा! जहण्णेणं अंतोमुहत्तं, उक्कोसेणं बायालीसं बाससहस्साई अंतोमुहुत्तूणाई। [३८५-३ प्र.] भगवन् ! पर्याप्तक सम्मूछिम भुजपरिसर्प स्थलचर पंचेन्द्रिय तिर्यञ्चयोनिक जीवों
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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