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________________ तृतीय बहुवक्तव्यतापद] [२७९ उनसे भी) अधोलोक में असंख्यातगुणी हैं। ____२८६. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा वाणमंतरा देवा उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेन्जगुणा २, तेलोक्के संखेज्जगुणा ३, अधोलोयतिरियलोए संखेजगुणा ४, अहेलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए संखेजगुणा ६। [२८६] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे अल्प वाणव्यन्तर देव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६. (और उनसे भी) तिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं। ___ २८७. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ वाणमंतरीओ देवीओ उड्डलोए १. उड्डलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणाओ २, तेलोक्के संखिज्जगुणाओ ३, अधोलोयतिरियलोए असंखिज्जगुणाओ ४, अधोलोए संखिज्जगुणाओ ५, तिरियलोए संखिज्जगुणाओ ६। [२८७] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे थोड़ी वाणव्यन्तर देवियाँ ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणी हैं,. ३. (उनसे) त्रैलोक्य में संख्यातगुणी हैं, ४. (उनसे) अधोलोक-तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणी हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणी हैं, ६. (उनसे भी) तिर्यक् में संख्यातगुणी हैं। २८८. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवा जोइसिया देवा उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणा २, तेलोक्के संखेज्जगुणा ३, अधेलोयतिरियलोए संखेज्जगुणा ४, अधोलोए संखेज्जगुणा ५, तिरियलोए असंखेजगुणा ६। [२८८] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे कम ज्योतिष्क देव ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में संख्यातगुणे हैं, ४. (उनसे) अधोलोकतिर्यक्लोक में संख्यातगुणे हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणे हैं, ६. (और उनसे भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणे हैं। २८९. खेत्ताणुवाएणं सव्वत्थोवाओ जोइसिणीओ देवीओ उड्डलोए १, उड्डलोयतिरियलोए असंखेन्जगुणाओ २, तेलोक्के संखेन्जगुणाओ ३, अधोलोयतिरियलोए असंखेज्जगुणाओ ४, अधोलोए संखेजगुणाओ ५, तिरियलोए असंखेज्जगुणाओ ६। __ [२८९] क्षेत्र के अनुसार १. सबसे कम ज्योतिष्क देवियाँ ऊर्ध्वलोक में हैं, २. (उनसे) ऊर्ध्वलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणी हैं, ३. (उनसे) त्रैलोक्य में संख्यातगुणी हैं, ४. (उनसे) अधोलोकतिर्यक्लोक में असंख्यातगुणी हैं, ५. (उनसे) अधोलोक में संख्यातगुणी हैं, ६. (उनसे भी) तिर्यक्लोक में असंख्यातगुणी हैं।
SR No.003456
Book TitleAgam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 01 Stahanakvasi
Original Sutra AuthorShyamacharya
AuthorMadhukarmuni, Gyanmuni, Shreechand Surana, Shobhachad Bharilla
PublisherAgam Prakashan Samiti
Publication Year1983
Total Pages572
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Metaphysics, & agam_pragyapana
File Size12 MB
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